गरीबों को मात्र ₹2 लाख में मिल जाएगा घर, शिवराज की घोषणा होगी पूरी, भू माफियाओं से छुड़ाई भूमि का आवंटन
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज की घोषणाओं को अब भोपाल प्रशासन साकार करने जा रहा है। जिसमें गरीबों को कम कीमत में घर मिलेगा। दरअसल राजधानी भोपाल में माफिया के विरूद्ध चलाए गए अभियान में भू माफियाओं से छुड़ाई गई 210 एकड़ जमीनों को आवंटित करने का काम शुरू कर दिया गया है। पहले चरण में कलखेड़ा में 50 एकड़ जमीन नगर निगम को आवंटित की गई है। यहां पर नगर निगम द्वारा सुराज कॉलोनी बनाई जाएगी। इसके लिए जिला प्रशासन ने नगर निगम को 25 एकड़ जमीन दे दी। बताया जा रहा है कि गरीबों को करीब ₹2 लाख में घर मिल जाएगा।

मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बड़ी घोषणा आप साकार होने जा रही है। बता दे भू-माफिया से मुक्त कराई गई जमीनों पर आगे कब्जे ना हो और यह जनता के काम आ सके इसके लिए 15 अगस्त को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसी जमीनों पर जनता के लिए कॉलोनी बनाने की घोषणा की थी। हितग्राहियों को पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर ईडब्ल्यूएस और प्लॉट का आवंटन किया जाएगा।

केंद्र व राज्य देंगे डेढ़-डेढ़ लाख, हितग्राही को मात्र दो लाख में मिलेगा घर !
भोपाल में बनाई जा रही सुराज कॉलोनी में एक ईडब्ल्यूएस किए की निर्माण की लागत ₹8 लाख 60 हजार बताई जा रही है जिसमें हितग्राही से ₹2 लाख लिए जाएंगे। डेढ़ लाख मध्य प्रदेश सरकार और डेढ़ लाख की राशि केंद्र सरकार वहन करेगी। बाकी बची हुई राशि नगर निगम देगा। यानी गरीब परिवार को सिर्फ ₹2 में अपना खुद का घर मिल जाएगा। इसमें लॉटरी सिस्टम से आवास और प्लॉट का आवंटन किया जाएगा।

कॉलोनी में ये सुविधा होगी
राजा रहेगी भोपाल नगर निगम 50 एकड़ में 532 ईडब्ल्यूएस का निर्माण करेगा। जिसमें 1 कमरे कॉल किचन और बाथरूम होगा 80 सिंह लेस और 298 छोटे बड़े साइज के प्लॉट काटे जाएंगे इसके अलावा यहां बच्चों के खेलने के लिए पाक और अन्य सुविधाएं होगी कल खेड़ा ग्राम पंचायत नीलबड़ से 4 किलोमीटर दूर है। जिला प्रशासन और नगर निगम के अफसरों ने यहां नपती कर ली है। जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।

कलेक्टर गाइडलाइन 2023 की दरें तय करने की प्रक्रिया अगले माह
राजधानी भोपाल में जमीनों के दाम निर्धारित करने के लिए प्रस्तावित कलेक्टर गाइडलाइन 2023 की दरें तय करने की प्रक्रिया अगले महीने से शुरू हो जाएगी कलेक्टर अविनाश लगवानी है कि निर्देश पर जिला प्रशासन ने इसकी प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है कलेक्टर गाइडलाइन की दरें तय करने के लिए आईडी पंजीयन की तरफ से शेड्यूल जारी होता है। इसके बाद जिले में उप मूल्यांकन समिति की बैठकों का क्रम शुरू होता है। सर्वे करने और नए रेट तय करने में 3 से 4 महीने का समय लगता है।
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