रायसेन में छोटी नहरों के निर्माण में भ्रष्टाचार, कैमरे के सामने खुली पोल व SDO का आडियो वायरल
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की बारना बांध में छोटी नेहरों के निर्माण में घटिया मटेरियल का यूज किया जा रहा है।
रायसेन 10 जून। आम जनता की खून-पसीने की कमाई से किसानों के भले के लिए बनीं सरकारी योजनाओं को ठेकेदार और अफसर मिलकर किस तरह पलीता लगाते हैं, उसकी एक बानगी रायसेन जिले के बाड़ी में देखने को मिली है। जिले के सबसे बड़े बारना बांध से किसानों को सिंचाई के लिए सरकार ने नहरों के मरम्मत और पुर्ननिमार्ण के लिए बीते 6 सालों में करोड़ो रूपये स्वीकृत किये हैं । बड़ी नहरों का पक्कीकरण बीते सालों में पूरा हो चुका है। अब सीधे खेतों को पानी पहुंचाने वालीं 8 किलोमीटर लंबी सव-माईनर यानी की छोटी नहरों, m1 m2 का सीमेंटीकरण हो रहा है। इनका निर्माण इतना घटिया है कि पैरों की हल्की चोट से उखड़ जा रहा है। (शॉट्स रिलेवेंट देखकर लगाएं, बहुत अच्छे शॉट्स है)। जिन किसानों के खेतों से ये नहरें गुजर रही हैं, वो सबकुछ देखते-समझते हुए भी बेबस और मजबूर हैं।
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घटिया निर्माण निरंतर जारी
मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि घटिया गुणवत्ता की नहर बनती जा रही है और पीछे की नहर उखड़ती जा रही है, जिस पर लगे टप्परों को साफ देखा जा सकता है। जल संसाधन विभाग ने करोड़ों रुपए का बजट इसके लिए आवंटित किया है लेकिन स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया निर्माण निरंतर जारी है।
एसडीओ ने कैमरे के सामने माना घटिया निर्माण
घटिया निर्माण की शिकायत जब आरटीआई कार्यकर्ता ने जल संसाधन विभाग के sdo हीरालाल राठौरिया से की तो वो आनन फानन में ठेकेदार की गाड़ी में बैठकर निर्माण स्थल पर आए और छोटी नहरों की नाप करने लगे। एसडीओ ने कैमरे के सामने माना कि घटिया निर्माण हो रहा है लेकिन वो अकेले इसमें बहुत कुछ नहीं कर सकते।
SDO ने ठेकेदार से बात कर मैनेज करने को कहा
एसडीओ का कहना है कि नहरों की खराब गुणवत्ता की खबरों के बाद चीफ इंजीनियर होशंगाबाद ने यहां का दौरा किया था। खुद एसडीओ भी गुजरात के नंबर प्लेट वाली ठेकेदार की ही गाड़ी में जांच करने पहुंचे। जब आरटीआई कार्यकर्ता ने फोन पर SDO से इस भ्रष्टाचार की शिकायत की थी तो उन्होंने ठेकेदार से बात कर मैनेज करने को कहा। सुनिए फोन पर क्या बोले SDO साहब
बंद आखों से भ्रष्टाचार का नंगा नाच
किसान, स्थानीय ग्रामीण, पत्रकार हर किसी को नंगी आंखों से दिख रहा है कि बारना बांध से निकली इस नहर के निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन जिन लोगों के ऊपर इसे रोकने की जिम्मेदारी है लगता है उन्होंने जानबूझकर आंखों पर पट्टी बांध ली है और बंद आखों से भ्रष्टाचार का नंगा नाच होते हुए देख रहे हैं। इतना ही नहीं किसानों को ठेकेदार कहता है कि ऊपर कमीशन खिलाना पड़ता है, इसलिए ऐसा ही काम होगा।