ससुर ने किया बहू का कन्यादान, बेटे की मौत के बाद बहू को बेटी मानकर धूमधाम से करवाई दूसरी शादी
Alwar News, अलवर। शादी के चंद सालों में ही पति की मौत हो जाने पर अक्सर पत्नी विधवा बनकर या तो ससुराल में ही जिंदगी काट रही होती है या अपने मायके चली जाती है, मगर यहां ऐसा नहीं हुआ। सास-ससुर ने बहू के गम को समझा। उसकी पहाड़ सी जिंदगी को आसान बनाने की ठानी और लीक से हटकर फैसला लिया।
बहू को बेटी मानकर सास-ससुर ने उसका पुनर्विवाह करवाकर बेटी की तरह कन्यादान किया। एक तरफ बेटी और दूसरी तरफ बहू की जिंदगी फिर से संवरती देख ससुराल व पीहर पक्ष के लोगों की आंखें नम हो गईं और हर कोई इसके सास-ससुर के फैसले की सराहना करता रहा। सामाजिक पहल और बहू-बेटियों के प्रति समान नजरिया रखने वाला यह मामला राजस्थान के अलवर शहर का है।
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बीमारी से हुई बेटे की मौत
दरअसल, अलवर (Alwar) शहर के चांवड पाड़ी निवासी रामरतन प्रजापत के बेटे लेखराज की दो साल पहले गांव पथरौड़ा निवासी अमरसिंह की बेटी से शादी हुई थी। शादी के बाद लेखराज बीमार रहने लगा और सालभर में उसने दम तोड़ दिया। जवान बेटे की मौत से टूटने की बजाय रामरतन और उनकी पत्नी ने बहू को गले लगाया। उसे विधवा बहू के साथ-साथ बेटी की तरह रखा।
अखबार में छपी खबर ने दिखाई राह
सास-ससुर से बहू का गम देखा नहीं जा रहा था, मगर कोई रास्ता भी नहीं सूझ रहा था। इस बीच जयपुर के एक अखबार में खबर छपी कि एक युवक की सड़क हादसे में मौत हो जाने के बाद सास-ससुर ने बहू को बेटी मानकर उसकी दूसरी जगह शादी करवाई। इस खबर ने रामरतन को राह दिखाई। उसने अपनी पत्नी और बहू के मायके वालों से इस बारे में बात की। पहले तो सबको अजीब लगा, लेकिन रामरतन और उसकी पत्नी अपनी बहू की जिंदगी संवारने पर डटे रहे।
अब जयपुर के सुरेश से हुई शादी
नतीजा यह रहा कि फिर बहू के लिए लड़के की तलाश शुरू हुई, जो जयपुर दादी का फाटक निवासी युवक सुरेश चंद के रूप में पूरी हुई। सास-ससुर ने मंगलवार को बहू की शादी सुरेशचंद से करवाई। सुरेशचंद का परिवार जयपुर से बारात लेकर पहुंचा तो अलवर में शामियाना सजाया गया। भोज का आयोजन हुआ। वरमाला पहनाई गई। इस मौके पर बहू के ससुराल व पीहर पक्ष के लोग मौजूद रहे। सास-ससुर ने बहू को बेटी मानकर उसका कन्यादान किया और फिर सुरेशचंद के साथ विदा कर दिया।