आसाराम को पैर पसारने में दिग्विजय ने की थी मदद
इंदौर। आसाराम बापू पर उठा विवाद अब सियासी रंग लेता जा रहा है। आसाराम के ट्रस्ट पर उठे सवालों ने कांग्रेस सरकार को घेरे में ला दिया है। इस विवाद में मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार फंसती जा रही है। आरोप लगा है कि दिग्विजय सिंह की सरकार ने आसाराम बापू के ट्रस्ट को करोड़ों रूपए की जमीन औने-पौने दाम में दी थी।
जानकारी के मुताबिक 1998 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सराकर थी और दिग्विजय सिंह उस वक्त मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। दिग्विजय सरकार ने बोलावली और लिमबोदी में 6.869 हेक्टेयर जमीन श्री आसाराम गुरूकुल आश्रम व ध्यान केंद्र को एक रूपए सालाना की लीज पर दी थी। तब खंदवा रोड स्थित जमीन सैकड़ों रूपए की थी और अब यह कई अरब रूपए की है। ऐसे में अब दिग्विजय सिंह पर सावल उठने शुरु हो गए है।
हलांकि कांग्रेस की सरकार ने आसाराम ट्रस्ट को जमीन आवंटन कराते वक्त कुछ आवश्यक शर्ते लगाई थी। जिसमें क हा गया था कि जमीन का उपयोग केवल दवाई के काम में आने वाली जड़ी- बूटियो को लगाने व ध्यान के लिए होगा। इस पर कोई स्थाई निर्माण नहीं होगा। , लेकिन इन शर्तों को ना तो आसाराम की ट्रस्ट ने पालन किया और ना ही सरकार ने उस पर कभी अमल करने की कोशिश की।
हिन्दी अखबार में छपी खबर के मुताबिक 2008 में आसाराम को आवंटित जमीन पर सवाल खड़ा किया गया था। एक शिकायत के जरिए ये मामला उठा और तत्कालीन जिला कलेक्टर ने ट्रस्ट को नोटिस भी जारी की, लेकिन सरकार के सुस्त रवैये के कारण ये मामला वहीं खत्म हो गया। लेकिन अब जब आसाराम का मसला मीडिया में आया है तो एक आरटीआई कार्यकर्ता ने शिकायत की। इस पर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने शनिवार को आश्रम का सीमांकन किया।