चौरासी कोसी यात्रा को कैसे रोकेगा मुस्लिम वोटों का दबंग?
[नवीन निगम] उत्तर प्रदेश के अयोध्या में प्रस्तावित चौरासी कोसी यात्रा ने एक नई राजनीतिक उथलपुथल मचा दी है। आजकल वैसा ही माहौल है जैसा 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई के समय था। अब्दाली से लडऩे के लिए जब मराठे पुणे से बढ़कर दिल्ली पहुंचे तो उत्तर भारत में राजाओं और नवाबों ने अपने गुणा भाग करने में सारी मेहनत लगा दी। दिल्ली के मुगल सभी के बादशाह थे, लेकिन सब निहित स्वार्थों के लिए एक दूसरे से लड़े। उत्तर प्रदेश में भी चुनाव निकट देखकर पार्टियां एक दूसरे के वोट को तोडऩे में ध्यान लगा रही हैं, जबकि इस चक्कर में उनका अपना वोट भी धाराशाई हो सकता हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि विहिप की इस यात्रा को मुस्लिम वोटों का दबंग कैसे रोकेगा?
यह दबंग और कोई नहीं बल्कि आज़म खां हैं। नरेंद्र मोदी अचानक 25 प्रतिशत मुसलमानों को अपना वोट बताने के दावे से नहीं हिचक रहे हैं, वही सपा विहिप के बहाने से हिंदू मतदाताओं को अपनी तरफ करने की चाल चलने की जा रही थी कि आजम खां ने बीच रास्ते में ही चेन खींचकर उसकी गाड़ी रोक दी। पहले भी जब बुखारी ने मुलायम को एक नाराजगी भरा खत लिखा था तब भी आजम खां बुखारी के खिलाफ तलवार लेकर मैदान में उतर आए थे और अंत में विजयी होकर बाहर निकले। कल्याण सिंह से निकटता के बाद मुलायम से दूरी बनाने वाले आजम खां सपा में अब मुस्लिम वोट की धुरी बनकर उभरे हैं। आजम खां ने इस बार मुलायम की विहिप नेता अशोक सिंहल से मुलाकात करने के तरीके पर जिस तरह वार किया हैं उसे देखकर तो ऐसा लगता है कि सपा का मुस्लिम वोट अब वाया आजम खां ही सपा में आता हैं।
वरना एक समय था कि जब राजनीति में मुलायम से बड़ा उप्र में मुस्लिमों का कोई नेता नहीं था यहां तक कि मुलायम सिंह को कुछ लोगों ने मौलाना की उपाधि तक दे डाली थी। लेकिन कल्याण प्रकरण ने मुलायम सिंह की वह छवि धो डाली और आजम खां ने वहीं से अपने को मुस्लिमों का बड़ा नेता मनवा लिया। क्या किसी पार्टी में कोई नेता अपने सुप्रीमों पर ऐसा आरोप लगा सकता हैं जैसा आरोप आजम खां ने मुलायम पर लगाया। क्या यह आनुशासनहीनता नहीं है। अभी थोड़े दिन ही नहीं बीते थे कि अखिलेश ने बिधूना से विधायक और अपने मामा को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। उन्होंने मात्र सरकार पर यह सवाल खड़ा किया था कि इनसे बगैर पूछे उनके इलाके में बड़े अफसरों के तबादले किए जा रहे हैं।
दबंग आजम का बयान
चौरासी कोसी यात्रा को लेकर विहिप नेताओं से सपा मुखिया मुलायम सिंह की मुलाकात पर मंत्री आजम खां भड़क गए। विवादित ढांचा गिराने वालों से हाथ मिलाने का मुस्लिमों में गलत संदेश जाने की आशंका जताते हुए आजम ने कहा कि अशोक सिंहल जैसों को इतना अधिक महत्व दिया जाना उचित नहीं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि मध्यस्थता सिर्फ बाबरी मस्जिद के पुननिर्माण के लिए ही हो सकती है। विहिप नेताओं से मुलाकात पर आजम ने मुलायम सिंह को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए कहा कि विकास एजेंडे पर पूर्व प्रस्तावित प्रेस कांफ्रेस को इस मुलाकात के लिए विलंबित करना जरूरी नहीं था। अब आप बताइये कि क्या कोई बसपा में मायावती से और कांग्रेस में सोनिया गांधी से इस तरह की बात कर सकता हैं।
आंध्र में छोड़े दिनों पहले जब जगन ने सोनिया गांधी पर आरोप लगा दिया था तब जगन से होने वाले नुकसान को एक बार भी सोचे बगैर कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। मुलायम को चेतावनी भरे लहजे में कहने के बावजूद भी सपा यदि आजम खां पर खामोश है तो उसका एक बड़ा कारण यही है कि सपा को आजम खा बगैर मुस्लिम वोट की आस नहीं रह गई हैं और यह भारत के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार के लिए खतरनाक बात हैं।