सिरसा के उपायुक्त ने खुद हाथों से उठाई गंदगी
जिले के इतने वरिष्ठ अधिकारी को इस प्रकार से सफाई करते देख अन्य अधिकारी व ग्रामीण भी अपने आप को रोक नहीं पाए और फिर संकोच छोड़कर सभी ने गांव को साफ करने के इस अभियान में हाथ बंटाया। उपायुक्त को जब गांव के सरपंच रणजीत सिंह ने स्मृति चिन्ह भेंट किया तो उन्होंने कोई गिफ्ट लेने से विनम्रता पूर्वक इन्कार किया। हालांकि सरपंच के विशेष आग्रह पर उन्होंने बाद में स्मृति चिह्न स्वीकार कर लिया लेकिन पंचायत अधिकारियों को निर्देश दिए कि भविष्य में उनके किसी भी कार्यक्रम में गिफ्ट आदि न भेंट किए जाएं और न ही खान-पान के इंतजाम पर कोई फिजूल खर्ची हो। सुबह करीब 5.50 बजे अधिकांश लोग जब घरों में सो रहे थे तब उपायुक्त जे गणेशन अपने हाथों से गांव सांवतखेड़ा की गलियों में सफाई करने में जुटे थे। दरअसल जिला को पूरी तरह निर्मल और स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से शनिवार को डबवाली उपमंडल में पॉलिथीन मुक्त सफाई अभियान की शुरूआत गांव सांवतखेड़ा से हुई और अल सुबह ही उपायुक्त जे गणेशन अपनी टीम के साथ इस अभियान की शुरूआत करने गांव सांवतखेड़ा पहुंच गए।
इस मौके पर उपायुक्त ने कहा कि 'निर्मल भारत अभियान' के तहत सभी गांवों में 668 स्वच्छता दूत नियुक्त किए जाएंगे, जो गांव-गांव में स्वच्छता की अलख जगाकर लोगों को जागरूक करेंगे। उपायुक्त ने बताया कि पूरे जिला में 1000 की आबादी पर एक स्वच्छता दूत नियुक्त किया जाएगा। जिला में सभी स्वच्छता दूतों को सफाई जागरूकता बारे विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद ये स्वच्छता दूत गांव-गांव जाकर लोगों को सफाई से होने वाले फायदों के बारे में बता पाएंगे। उन्होंने बताया कि सबसे पहले जिला में निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय से वंचित रहे घरों का सर्वे करवाया जाएगा और एक सूची तैयारी की जाएगी। विशेष रूप से ये स्वच्छता दूत उन लोगों के पास जाएंगे जिनके घरों में शौचालय नहीं है। इसके साथ-साथ गांवों की गलियों सफाई व घरों में सफाई के अन्य टिप्स के बारे में भी आमजन को जागरूक करेंगे।
उन्होंने बताया कि सिरसा जिला प्रदेश का ऐसा पहला जिला जहां सबसे अधिक घरों में शौचालय की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि सिरसा में कुल एक लाख 78 हजार 779 परिवार हैं जिनमें से 22 हजार 309 परिवार अभी भी शौचालय से वंचित हैं। इन परिवारों को भी अपने घरों में शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और राज्य सरकार की योजना के तहत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना व संपूर्ण स्वच्छता अभियान स्कीम के तहत आर्थिक सहायता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि शौचालय के निर्माण के लिए गरीब, अनुसूचित जाति व आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को 4500 रुपए की राशि का प्रावधान मनरेगा के तहत किया जाएगा। इस राशि से मजदूरी और कच्चे काम के लिए मनरेगा के तहत संबंधित परिवार स्वयं भी कार्य कर सकता है। इसके साथ-साथ 4500 रुपए की आर्थिक सहायता संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत उपलब्ध करवाई जाएगी, बाकी 900 रुपए की धन राशि संबंधित व्यक्ति को स्वयं खर्च करनी होगी। इस प्रकार से शौचालय के निर्माण पर कुल 9900 रुपए की राशि खर्च होगी।
उन्होंने आमजन से अपील की कि वे अपने गांवों में अपने घर से सफाई की शुरूआत कर गली, मौहल्लों तक होते हुए पूरे गांव में सफाई का एक विशेष अभियान चलाए। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने तो सफाई की शुरूआत की है अब गांवों के लोगों की और ज्यादा जिम्मेवारी बनती है कि इस अभियान को आगे तक लेकर जाएं। उन्होंने कहा कि सफाई का जीवन में बहुत महत्व है। वातावरण स्वच्छ होगा तो मनुष्य का स्वास्थ्य भी स्वस्थ होगा।