अफ्रीका मच्छरों के लिए कयामत, भारत में जन्नत
नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के आंकड़े के अनुसार अगस्त माह तक मलेरिया के 687314 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। अगस्त तक 171 लोगों की मौत हुई है। यहां बता दें अफ्रीका के कुछ हिस्सों से मलेरिया फैलाने वाले मच्छर गायब होते जा रहे है लेकिन वैज्ञानिक इसके कारणों का पता नहीं लगा पा रहे हैं। मलेरिया जर्नल के मुताबिक अफ्रीका के उन हिस्सों से मच्छर गायब हो रहे हैं जहां मलेरिया नियंत्रण के कोई बहुत अधिक उपाय नहीं किए गए है।
अभी इस बात को लेकर कोई पक्की राय नहीं बन पाई है कि जो मच्छर गायब हो रहे हैं वो फिर से ज़बर्दस्त ताकत से लौटेंगे या नहीं। तंजानिया, एरीट्रिया, रवांडा, केन्या और ज़ांबिया से मिले आकड़ों के अनुसार इन देशों में मलेरिया के रोगियों की संख्या में कमी आई है। ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है मलेरिया के मच्छरों पर वायरस का हमला हुआ है। इसलिए इनकी संख्या तेजी से घट रही है। लेकिन लगता है मच्छरों पर हमला करनेवाले वायरस भारत तक नहीं पहुंच पाए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो वर्तमान समय में दस लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत झारखंड, उत्तराखंड, चंडीगढ़, हरियाणा समेत कई राज्यों में स्थिति गंभीर है।
इन राज्यों के सरकारी और निजी अस्पतालों में मलेरिया से पीड़ितों को भर्ती करने के लिए जगह नहीं मिल पा रही है। प्रत्येक दिन 25 से 30 लोगों की मौत हो रही है। एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रो.ए.बी.डे का कहना है कि काफी दिनों तक बुखार रहने पर प्लाजमोडियम वायरस का फेलसिपेरम मस्तिष्क तक पहुंच जाता है और शरीर के कई अंगों को समाप्त कर देता है। गर्भावस्था के दौरान मलेरिया की चपेट में आने पर जच्चा बच्चा दोनों पर खतरा मंडराता रहता है।