लेडी डॉन 'गॉडमदर संतोकबेन जडेजा' के जीवन का खूनी इतिहास
उनके जीवन के बारे में बात करें तो दिवंगत पति सरमणभाई मुंजाभाई जडेजा के निधन के बाद वे सार्वजनिक जीवन में आईं थीं। बाद में वे गुजरात राज्य विधानसभा के कुतिया निर्वाचन (पोरबंदर) क्षेत्र से वर्ष 1989 में चुनीं गईं।वे महेर समाज की पहली महिला विधायक (1989-1994) थीं। संतोकबेन के बाद अभी तक पोरबंदर जिले कोई महिला विधायक नहीं बनी है।बहरहाल, संतोकबेन के संघर्षमय जीवन पर बॉलीवुड ने 'गॉडमदर" नाम से फिल्म बनाई थी। शबाना आजमी अभिनीत इस फिल्म पर संतोकबेन ने नाराजगी जताई थी। हालांकि इस फिल्म के बाद उन्हें गॉडमदर कहा जाने लगा। आपको यह बात सुनकर कतई यकिन नहीं होगा कि जिस महिला के नाम से पूरा गुजरात थर्र-थर्र कांपता था वह इतनी खामोशी से दुनिया छोड़ कर चली गई। तो आईए प्रकाश डालते हैं लेडी डॉन गॉड मदर संतोकबेन जडेजा की जीवन काल पर।
महात्मा गांधी के शहर पोरबंदर में एक शख्सियत ऐसी भी थी, जिसके बारे में स्थानीय लोगों का मनना था कि उसके घर के नालों से पानी नहीं बल्कि खून बहता था। गॉडमदर को जानने वाले पुलिसकर्मी और नेता, पोरबंदर की इस महिला को ऐसी प्रतिबद्ध महिला के रूप में जानते हैं, जिसने अपने पति सरमन मुंझा की मौत के बाद अपने बच्चों को बचाने के लिए हथियार उठाए। मुंझा को 80 के दशक में दुश्मन गिरोह के सदस्यों ने मार दिया था। संतोकबेन के प्रभुत्व में इजाफे और उसकी सत्ता के पतन को करीबी से देखने वाले पोरबंदर के विधायक अर्जुन मोधवड़िया ने बताया कि राजनीतिक दलों ने 80 के दशक में खुल कर उसका समर्थन किया और 90 के दशक की शुरुआत में उससे सावधान होने लगे, सभी ने उसका अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया क्योंकि उसकी रीयल एस्टेट, यातायात, व्यापारियों से फिरौती और तस्करी जैसे धंधों पर पकड़ थी।
मोधवड़िया ने बताया कि बाद में संतोकबेन जनता दल-भाजपा के टिकट पर अपने गृह क्षेत्र कुटियाना से विधानसभा चुनाव जीत गई। संतोकबेन के जीवन ने फिल्म जगत को भी प्रेरित किया। गॉडमदर के जीवन पर इसी नाम से एक फिल्म भी बनी। संतोकबेन के प्रभाव वाले जिलों पोरबंदर और राजकोट में पदस्थ रह चुके एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 90 के दशक के मध्य में गॉडमदर की अपने गिरोह के लोगों पर पकड़ कम होती गई। गॉडमदर को पहली बार गिरफ्तार करने वाले सतीश शर्मा ने बताया कि यह सच है कि उसका गिरोह कथित तौर पर कम से कम 18 हत्याओं के लिए जिम्मेदार था। गिरोह का शिकार बनने वाले ज्यादातर दुश्मन गिरोह के सदस्य थे, जिन्होंने सत्ता की लड़ाई में उसके पति को मार दिया था, लेकिन गॉडमदर ने कभी खुद किसी पर गोली नहीं चलाई।