हसन की रिपोर्ट पर कोई शांत कैसे रह सकता है ईडी : सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एस. एस. निज्जर की खंडपीठ ने कहा, रिपोर्ट देखने के बाद शांत और संयत रहना मुश्किल है। आखिर देश में क्या हो रहा है? देश के लोगों को जानने दीजिए कि क्या हो रहा है? खंडपीठ ने कहा, "देश के लोगों को पता चलना चाहिए कि क्या हो रहा है। न्यायालय ने यह कड़ी टिप्पणी हसन अली के मामले में जांच से सम्बद्ध ईडी की दूसरी रिपोर्ट देखने के बाद व्यक्त की। रिपोर्ट सीलबंद थी।
सुनवाई शुरू होते ही महाधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम ने न्यायालय को बताया कि अली ने ईडी को दिए लिखित बयान में अपनी और अपने परिवार की जान को खतरे की आशंका जताई है। अदालत ने महाधिवक्ता से पूछा, राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से जो कुछ भी आपको करना चाहिए था वह इसमें अनुत्तरित है। अदालत ने पूछा, क्या आप अली के काले धन (जो विदेशी बैंकों में जमा किए गए हैं) का स्रोत बता पाने में सक्षम हैं?
न्यायमूर्ति रेड्डी ने महाधिवक्ता से पूछा कि इस मामले की जांच के लिए क्यों न रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), गुप्तचर ब्यूरो (आईबी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी को मिलाकर विशेष जांच एजेंसियों की एक टीम बना दी जाए?
अदालत ने कहा कि टीम का प्रमुख किसी सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारी को बनाया जा सकता है।सुब्रह्मण्यम ने इस पर न्यायालय से समय की मांग की, जब तक कि ईडी अपनी तीसरी रपट दाखिल नहीं करता है।उन्होंने अदालत से कहा कि मामले की जांच कर रहे अधिकारी अपने काम में पूरी तन्मयता से लगे हुए हैं और उन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत है।