आदर्श घोटाले से बडा़, पुणे का भूमि घोटाला?
अदालत इस मामले को जांच के लिए सीबीआई को दे सकती है। भाजपा के प्रवक्ता माधव भंडारी द्वारा बॉम्बे उच्च न्यायालय में दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने वाली खंडपीठ ने सोमवार को इस बात के संकेत दिए। न्यायाधीश बी.एच. मार्लापाले और न्यायाधीश यू.डी. साल्वी की खंडपीठ के मुताबिक, "यह भूमि अनियमितता आदर्श सोसायटी मामले से भी बड़ा मामला हो सकता है।" खंडपीठ ने गुरुवार को मामले में अंतिम सुनवाई के दौरान सीबीआई को मौजूद रहने का निर्देश दिया है।
याचिका में पूर्व शहरी भूमि सीलिंग विनियमन अधिनियम (यूएलसीआरए) के तहत राज्य द्वारा पुणे में अधिग्रहित की जा रही भूमि के दायरे से महत्वपूर्ण हिस्सों के अलग होने के बारे में सरकारी अधिकारियों द्वारा निकाले गए कथित फर्जी आदेशों को लेकर चिंता जताई गई है। सोवानी ने बताया, "जिस लाखों वर्ग मीटर भूमि का इस्तेमाल गरीबों के लिए घर बनाने में हो सकता था उसका झूठे यूएलसीआरए आदेशों के आधार पर निजी इस्तेमाल और लाभ कमाने के लिए इस्तेमाल हो सकता है।"
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुधाकर जोशी की अध्यक्षता में बनी एक सदस्यीय समिति द्वारा इस मामले में रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उच्च न्यायालय ने यह प्रतिक्रिया दी। न्यायाधीशों का कहना है कि वे महाधिवक्ता रवि कदम की राय जानने के बाद इस मामले को सीबीआई को सौंपने पर विचार करेंगे।