OBC छात्रों से खेल रही उत्तर प्रदेश सरकार
हम बात कर रहे हैं लखनऊ विश्वविद्यालय की जहां जीरो फीस पर दाखिल हुए अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं से साफ कह दिया गया है कि अगर उनकी फीस जमा नहीं हुई तो सेमेस्टर इम्तहान में बैने नहीं दिया जाएगा। हम आपको बता दें कि सत्र की शुरुआत में उत्तर प्रदेश सरकारके निर्देश पर विश्वविद्यालय में ओबीसी के छात्रों के एडमीशन जीरो फीस पर इस वादे के साथ हुए कि उनकी फीस सरकार देगी।
यूपी के समाज कल्याण विभाग ने एक पत्र (पत्र संख्या-2689/ 26-3-2010-4 (358) 2007) भेजा। जिसमें साफ कह दिया कि सरकार के पास अभी ओबीसी छात्रों की फीस देने के लिए पैसा नहीं है, लिहाजा इंतजार करें। इस पर लखनऊ विश्वविद्यालय ने गत 15 नवंबर को एक नोटिस जारी करते हुए छात्रों से कहा कि फीस विश्वविद्यालय नहीं देगा। फीस जमा करो नहीं तो इम्तहान में बैठने को नहीं मिलेगा। छात्रों को फीस जमा करने की अंतिम तारीख 30 नवंबर दी गई है।
कोर्ट जाने की तैयारी
इस मामले पर यूथ वेलफेयर सोसाइटी के स्टेट सेक्रेटरी दानिश सिद्दीकी ने कोर्ट जाने की तैयारी शुरू कर दी है। वनइंडिया से विशेष बातचीत में दानिश ने कहा कि वो 30 तक इंतजार कर रहे हैं, अगर विश्वविद्यालय ने बिना वजह छात्रों पर दबाव बनाया, तो वो इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे।
दानिश सिद्दीकी का कहना है कि सरकार और विश्वविद्यालय के बीच के मसले में छात्र क्यों पिस रहे हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की कमी हर छात्र को खल रही है। ऐसे मौकों पर ही छात्रसंघ छात्रों की आवाज़ उठाता था, लेकिन आज कोई उनकी आवाज़ बुलंद करने वाला नहीं है। विश्वविद्यालय की हिटलरशाही भी ऐसी है कि जो छात्र प्रशासन के खिलाफ मुंह खोलता है वो निष्कासित या निलंबित कर दिया जाता है।
अब आप बताईये क्या विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ बहाल होने चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें।