नीतीश की शर्त नहीं साथ चाहती है भाजपा
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गौरतलब है कि दो दिन पहले 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में सूत्रों के हवाले से खबर दी थी कि बिहार के मुख्यमंत्री और जेडी (यू)नेता नीतीश कुमार की तरफ से बीजेपी के सामने यह शर्त रखी गई है कि अगर बिहार में गठबंधन करना है तो मोदी और वरुण को विधान सभा चुनाव प्रचार से दूर रखना होगा। इस खबर के बाद से ही राजनीतिक हलकों में तूफान मचा हुआ है। बीजेपी नेतृत्व की तरफ से कहा गया कि पार्टी के सामने ऐसी कोई शर्त रखी ही नहीं गई है।
लेकिन भाजपा ने जब औपचारिक रूप से नीतीश को जब ये फैसला सुनाया तो आप समझ सकते हैं कि शर्त वाली बात सच्ची थी जिसे भाजपा चीख-चीख कर गलत बता रही थी।टाइम्स नाउ के मुताबिक पार्टी नेता वेकैया नायडू ने कहा है कि 'नीतीश कुमार द्वारा बाढ़ पीड़ितों की मदद राशि वापस किए जाने से हम आहत हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि 'हम एकता चाहते हैं, लेकिन गठबंधन के लिए कोई पूर्व शर्त नहीं मंजूर कर सकते।'
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:
सोनिया
की
लाल
साड़ी
ने
उड़ाई
कांग्रेस
की
नींद
खैर
देर
आये
दुरूस्त
आये,
और
भाजपा
ने
अपना
मुंह
खोलकर
अपनी
मंशा
तो
जाहिर
की,
नहीं
तो
पिछले
कई
उदाहरणों
से
लगने
लगा
था
कि
भाजपा
सत्ता
की
लालच
में
कुछ
भी
और
किसी
को
भी
दांव
पर
लगा
सकती
है।
जाहिर
है
वरूण
और
मोदी
दोनों
के
नाम
पर
फैसला
करना
उसे
थोड़ा
मुश्किल
हो
गया।
क्योंकि अकेले बिहार के एवज में भाजपा गुजरात और यूपी में अपनी छवि खराब नहीं करना चाहेगी। अपने अस्तित्व की तलाश में और मुद्दों से भटकी हुई भाजपा के पास ये ही दो नेता ही मौजुद है जिनका वो तुरूप के पत्ते की तरह इस्तेमाल कर सकती है। क्योंकि मोदी ही अकेले वो भाजपाई हैं जिन्होंने जो कहा वो किया है और यूपी में अगर कोई भाजपा को जिंदा कर सकता है और कांग्रेस के युवराज को टक्कर दे सकता है तो वो वरूण ही है। खैर भाजपा ने तो अपनी मंशा जाहिर कर दी है अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की ये मीठी गोली नीतीश के गुस्सा रफूचक्कर करवाती है या उनके गुस्से को और हवा देती है।