गैस त्रासदी : 11 हजार से ज्यादा पीड़ितों का पता नहीं
भोपाल, 17 जून (आईएएनएस)। भोपाल गैस त्रासदी का शिकार बने 11,735 पीड़ित ऐसे हैं जिनका कोई पता नहीं है। ये वे लोग हैं जिन्होंने गैस से मिले आघात के एवज में मुआवजे के लिए आवेदन किया था और जो वर्षो पहले मंजूर हो चुका है लेकिन वे मुआवजे की राशि लेने अब तक गैस कल्याण आयुक्त के दफ्तर नहीं पहुंचे हैं।
यूनियन कार्बाइड के कारखाने से दो-तीन दिसम्बर 1984 की रात को रिसी जहरीली गैस ने 15,342 लोगों की जान ली है जबकि पांच लाख 58245 लोगों को बीमार कर दिया। इस हादसे का शिकार बने लोगों ने 1997 तक मुआवजे के लिए आवेदन दिए।
गैस कल्याण आयुक्त भोपाल गैस पीड़ित कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक गैस रिसने से हुई मौतों के लिए कुल 22,150 आवेदन आए थे, जिनमें से 6,808 को खारिज कर दिया गया था। वहीं 10 लाख 29,517 बीमारों ने मुआवजे के लिए आवेदन किया जिनमें पांच लाख 58,245 को मुआवजे के काबिल माना गया।
गैस हादसे में मारे गए लोगों को दो श्रेणी में बांटा गया था। प्रथम श्रेणी में वे थे जो सीधे तौर पर गैस से नहीं मरे थे, उनकी संख्या 10047 आंकी गई थी। वहीं दूसरी श्रेणी में सीधे गैस प्रभाव से मरने वालों की संख्या 5,395 पाई गई थी। इन मृतकों को मुआवजा अलग-अलग दिया गया। प्रथम श्रेणी में 25 हजार से पांच लाख रुपये और द्वितीय श्रेणी में दो से 10 लाख रुपये तक दिए गए हैं।
गैस कल्याण आयुक्त कार्यालय के रजिस्ट्रार भारत भूषण श्रीवास्तव ने आईएएनएस को बताया कि 11,735 गैस पीड़ित ऐसे हैं जो तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक मुआवजा लेने नहीं आए हैं। इसके लिए दावा करने वालों को दर्ज किए गए पते पर व्यक्तिगत तौर पर नोटिस भेजे गए हैं। सूचियां प्रकाशित की गई हैं, इसके बाद भी वे मुआवजा लेने नहीं पहुंचे हैं।
गैस कल्याण आयुक्त कार्यालय अपने स्तर पर मुआवजा लेने न आ रहे पीड़ितों की हर स्तर पर खोज कर चुका है मगर उनका कहीं भी पता नहीं चल पा रहा है। माना जा रहा है कि या तो वे दुनिया में ही नहीं है अथवा भोपाल से इतने दूर हैं कि 25 हजार रुपये पाने के लिए उससे ज्यादा रकम खर्च करनी होगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।