प्रवासी भारतीय ने अस्पताल को 'तीसरी दुनिया का देश' कहा
पटेल इससे पहले तीन मरीजों की मौत का कारण बन चुके हैं। पटेल पर यह भी आरोप है कि उन्होंने एक मरीज की लापरवाही से सर्जरी की और उसे नाजुक हालत में छोड़ दिया।
एक नर्स करेन स्टमर ने मंगलवार को ब्रिसबेन में सर्वोच्च न्यायालय में इस संबंध में सबूत दिए और कहा कि 2004 में कई अवसरों पर उसने पटेल को अपने मरीजों को बड़े अस्पताल में स्थानांतरित करने से मना करते हुए सुना।
स्टमर ने कहा, "कई बार उन्होंने कहा कि बुंडाबर्ग का गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) तीसरी दुनिया का देश है।"
इससे पहले मंगलवार को विशेषज्ञ चिकित्सक डेविड स्मालबर्गर ने अदालत से कहा कि उनका मानना है कि एक मरीज गैरी केंप्स को ब्रिसबेन में भेज दिया जाना चाहिए था। बुंडाबर्ग अस्पताल में पटेल के द्वारा भोजन की नली की सर्जरी के बाद दिसंबर 2004 में केंप्स की मौत हो गई थी।
अदालत ने 60 वर्षीय पटेल को केंप्स और दो अन्य मरीजों मर्वइन जॉन मोरिस एवं एडवर्ड फिलिप की हत्या का दोषी नहीं पाया। उन्हें एक चौथे आदमी इयान रोडनी वोवेल्स को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के मामले में भी दोषी नहीं पाया गया।
ये आरोप उस समय के हैं जब 2003 से 2005 के बीच वह अस्पताल में सर्जरी के निदेशक थे।
स्लमबर्गर ने कहा कि भोजन निगलने की शिकायत के बाद उन्होंने 2004 में 77 वर्षीय केंप्स का परीक्षण किया था। परीक्षण में केंप्स की भोजन की नली में कैंसर के बढ़ने की आंशका के मद्देनजर उन्होंने मरीज को ब्रिसबेन भेजने की सिफारिश की थी जहां के बड़े अस्पताल में उसका ज्यादा बेहतर तरीके से इलाज हो सकता था।
स्लमबर्गर ने मंगलवार को अदालत ने कहा कि बुंडाबर्ग अस्पताल में ऐसे गंभीर रोग में सर्जरी के लिए जरूरी संसाधन मौजूद नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि सर्जरी के एक दिन बाद शरीर के अंदर खून बहने से केंप्स की मौत हो गई थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।