सर्वोच्च न्यायालय ने जयललिता की याचिका खारिज की (लीड-1)
न्यायाधीश बी.सुदर्शन रेड्डी और एस.एस.निज्जर की खंडपीठ ने जयललिता की याचिका को खारिज कर दिया।
जयललिता ने अपनी याचिका में कहा था कि सत्र अदालत के फैसले को सही ठहराकर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गलती की है।
उच्च न्यायालय ने सत्र न्यायालय के संज्ञान में पांच जून 1997 को आए मामले को सही ठहराते हुए कहा था कि इसमें कोई अनियमितता नहीं हुई है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 19 मार्च को इस मामले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था और सत्र न्यायालय को एआईएडीएमके की महासचिव के खिलाफ मामले में 42 गवाहों के परीक्षण के लिए एक समय सीमा तय करने का निर्देश दिया।
जयललिता ने अपनी याचिका में कहा था कि उच्च न्यायालय ने उनके द्वारा उठाए गए मामलों को सही तरीके से नहीं निपटाया।
उन्होंने यह भी कहा कि मुकदमे का उद्देश्य उनको परेशान करना है और उच्च न्यायालय ने इस पहलू पर ध्यान नहीं दिया।
जयललिता ने यह भी कहा कि मामले की जांच करने वाला अधिकारी भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच के लिए सक्षम नहीं था।
जयललिता पर वर्ष 1991 से 1996 के दौरान मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए आय से अधिक 66.65 करोड़ रुपये की संपत्ति हासिल करने का आरोप है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।