आने वाले वर्षो में 9-10 प्रतिशत होगी विकास दर : मुखर्जी (राउंडअप)
पीएचडी चैंबर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के 104वें वार्षिक सत्र में मुखर्जी ने कहा, "काफी लंबे समय से 9-10 प्रतिशत की विकास दर का लक्ष्य है। यह अब हमारी पहुंच में है और हम इसे हासिल कर लेंगे।"
चालू वित्तीय वर्ष की छमाही समीक्षा में वर्ष 2009-10 में आर्थिक विकास दर 7.75 प्रतिशत रहने के सरकारी अनुमानों का हवाला देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह कहना ज्यादा बेहतर होगा कि वृद्धि दर 7.5 से आठ प्रतिशत के बीच रहेगी।
मुखर्जी ने कहा, "अगले दो तीन वर्षो में हम नौ प्रतिशत की वार्षिक विकास दर का लक्ष्य रख रहे हैं और यह दर अधिक समग्र और व्यापक होगी। हमारा देश दुनिया के सर्वाधित तेज गति से विकास कर रहे देशों में से एक है।"
मुखर्जी के इस बयान से शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल देखा गया। बांबे स्टॉक एक्सचेंज का मानक संवेदी सूचकांक 539 अंक ऊपर चला गया और 17,231.11 पर जाकर रुक गया।
मुखर्जी ने कहा कि संतुलित विकास होने के लिए देश में कृषि विकास की दर चार प्रतिशत होनी चाहिए।
वित्त मंत्री ने कहा कि बहरहाल अपर्याप्त मानसून और सूखे के कारण कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर कम रहेगी।
उन्होंने कहा, "अप्रत्याशित बाढ़ और सूखे के कारण कृषि विकास में गिरावट रही है। वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में यह 2.5 प्रतिशत और दूसरी में एक प्रतिशत रही। मैं नहीं जानता कि तीसरी तिमाही में यह क्या होगी।"
निर्यात क्षेत्र में बदलाव के संकेतों पर प्रतिक्रिया प्रकट करने में भी वित्त मंत्री काफी सतर्क रहे।
उन्होंने कहा कि नवंबर में निर्यात उत्साहवर्धक रहा परंतु इस समय अमेरिका, यूरोप और जापान में तेज वृद्धि के बगैर निर्यातों में अधिक वृद्धि की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। देश का 60 प्रतिशत निर्यात इन देशों को ही होता है।
दो प्रमुख कर सुधारों पर मुखर्जी ने कहा कि वह इन सुधारों के लिए उठाए जा रहे कदमों से खुश हैं। सरकार माल व सेवा कर (जीएसटी) तथा प्रत्यक्ष कर संहिता को लागू करने की योजना तैयार कर रही है।
मुखर्जी ने कहा, "जीएसटी को लागू करने के लिए एक खाका तैयार करने के काम में काफी प्रगति हुई है।"
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता को लागू करने से पहले उसे आपत्तियों, सुझावों और टिप्पणियों के आधार पर सुधारा जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।