श्रीलंका तमिल नागरिकों की हिफाजत करे : भारत (लीड-1)
विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने जोर दिया कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) से भारत की सहानुभूति नहीं है। उन्होंने बल देकर कहा कि शक्तियों का विश्वसनीय हस्तांतरण होगा और उत्तरी क्षेत्र में शीघ्र ही लोकतंत्र लौटेगा। इसके साथ ही युद्ध वाले इलाके में पुनर्वास होगा।
नई दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आतंकवादी संगठन लिट्टे से भारत को सहानुभूति नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में भूमिका के लिए भारत हर वर्ष लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन के प्रत्यपर्ण की मांग करता रहा है।
मुखर्जी ने कहा कि सैनिक संघर्ष में फंसे तमिल नागरिकों को नुकसान न पहुंचे, श्रीलंका सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका में सेना और लिट्टे के बीच जारी युद्ध में 100,000 से 250,000 तमिल फंसे पड़े हैं।
मुखर्जी ने कहा, "मैं श्रीलंका सरकार से अपील करता हूं कि वह तमिलों के लिए आवास, भोजन और सुरक्षा की व्यवस्था करे।"
मुखर्जी ने तमिलनाडु के राजनेताओं से भी कहा कि वह लिट्टे और तमिलों के बीच अंतर को समझें। दरअसल तमिलनाडु के राजनेता श्रीलंका में युद्ध विराम की मांग कर रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।