अखिर क्या है कोसी !
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के उत्तर-पूर्वी इलाके में आई प्रलयंकारी बाढ़ से हर किसी की जिज्ञासा उस नदी के बारे में जानकारी प्राप्त करने की हो गई है, जो इस इलाके में कहर बरपा रही है। 'बिहार का शोक' कहे जाने वाली नदी कोसी के साथ कई दंतकथाएं जुड़ी हैं और यह अत्यंत प्राचीन नदी है।
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के उत्तर-पूर्वी इलाके में आई प्रलयंकारी बाढ़ से हर किसी की जिज्ञासा उस नदी के बारे में जानकारी प्राप्त करने की हो गई है, जो इस इलाके में कहर बरपा रही है। 'बिहार का शोक' कहे जाने वाली नदी कोसी के साथ कई दंतकथाएं जुड़ी हैं और यह अत्यंत प्राचीन नदी है।
हिमालय से निकलने वाली कोसी नदी नेपाल से बिहार में प्रवेश करती है। इस नदी के साथ जहां कई कहानियां जुड़ी हुई है, वहीं यह अपने साथ भारी मात्रा में बालू भी लाती है, जो बिहार के उत्तरी इलाकों के किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कोसी का संबंध महर्षि विश्वामित्र से है। महाभारत में इसे 'कोशिकी' कहा गया है।
वहीं इस नदी को 'सप्तकोसी' भी कहा जाता है। हिमालय से निकलने वाली कोसी के साथ सात नदियों का संगम होता है, जिसे सन कोसी, तमा कोसी, दूध कोसी, इंद्रावती, लिखू, अरुण और तमार शामिल है। इन सभी के संगम से ही इसका नाम 'सप्तकोसी' पड़ा है। कोसी नदी दिशा बदलने में माहिर है। पिछले 200 वर्षो में कोसी ने पूर्व से पश्चिम की ओर 120 किलोमीटर का मार्ग बदला है।
कोसी के मार्ग बदलने से कई नए इलाके प्रत्येक वर्ष इसकी चपेट में आ जाते हैं। बिहार के पूर्णिया, अरररिया, मधेपुरा, सहरसा, कटिहार जिलों में कोसी की ढेर सारी शाखाएं हैं। कोसी बिहार में महानंदा और गंगा में मिलती है। इन बड़ी नदियों में मिलने से विभिन्न क्षेत्रों में पानी का दबाव और भी बढ़ जाता है।
बिहार और नेपाल में 'कोसी बेल्ट' शब्द काफी लोकप्रिय है। इसका अर्थ उन इलाकों से हैं, जहां कोसी का प्रवेश है। नेपाल में 'कोसी बेल्ट' में बिराटनगर आता है। वहीं बिहार में पूर्णिया और कटिहार जिला को कोसी बेल्ट कहते हैं। कोसी भले ही बिहार और नेपाल के तराई इलाके में हर वर्ष प्रलय रूपी बाढ़ लाती हो, लेकिन बिहार के मिथिलांचल इलाके में इस नदी के साथ ढेर सारी लोक कथाएं और गीत जुड़े हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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