मध्यप्रदेश में दलित अत्याचारों को लेकर आयोग चिंतित
भोपाल, 20 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग मध्यप्रदेश में दलितों पर होने वाले अत्याचारों को लेकर चिंतित है और उन पर की जाने वाले कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। प्रदेश के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में आयोग ने स्पष्ट तौर पर कहा कि दर्ज मामलों पर कार्रवाई का प्रतिशत संतोषजनक नहीं है। सीधे शब्दों में कहा जाये तो दलितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
आयोग के अधिकारियों और सदस्यों ने मध्यप्रदेश के जिम्मेदार प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ की इस बैठक में कहा कि दलितों में अधिकारों के प्रति जागृति लाने के लिए थानों में सूचना पटल लगाया जाए। जिनमें इस वर्ग के अधिकारों और शासन द्वारा बनाये गये कानून का ब्यौरा दर्ज हो।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में दलितों द्वारा दर्ज कराये गये मामलों के एवज में सजा पाने वालों का प्रतिशत बहुत कम है। इतना ही नहीं दर्ज मामलों का जो ब्यौरा मिल रहा है, वह अलग-अलग है। अर्थात् आयोग ने मामलों की संख्या को ही संदिग्ध करार दे दिया।
पत्रकारों से चर्चा के दौरान आयोग के उपाध्यक्ष एऩ एम़ काम्बले और सदस्य महेन्द्र बौद्ध ने बताया कि दलित हत्या, गंभीर अपराध और बलात्कार जैसे प्रकरणों में वृद्धि हुई है। प्रदेश सरकार और प्रशासन दलितों के मामले में कितना गंभीर है इस बात का खुलासा न्यायालय से निर्दोष बच निकलने वालों की संख्या से हो जाता है। निर्दोष बच जाने वालों का प्रतिशत सत्तर से अधिक है, जो यह बताता है कि पुलिस ने दलितों का पक्ष रखने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इतना ही नहीं आयोग का कहना है कि मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों ने उन्हें चाही गई जानकारी तक उपलब्ध कराने में हीलाहवाली की है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।