आईआईटी परीक्षा में मजदूरों के बच्चों ने पाई सफलता
पटना, 1 जून (आईएएनएस)। जय राम के पिता श्रीकृष्ण नंदन शाह दिनभर कड़ी मेहनत के बाद मात्र 80 रुपये कमाते हैं, लेकिन आज 'सुपर 30' संस्थान का शुक्रिया अदा करते थक नहीं रहे। उसकी मदद से ही आज उनका बेटा 'इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्न ोलोजी' (आईआईटी) की परीक्षा में उत्तीर्ण हो पाया है।
पटना, 1 जून (आईएएनएस)। जय राम के पिता श्रीकृष्ण नंदन शाह दिनभर कड़ी मेहनत के बाद मात्र 80 रुपये कमाते हैं, लेकिन आज 'सुपर 30' संस्थान का शुक्रिया अदा करते थक नहीं रहे। उसकी मदद से ही आज उनका बेटा 'इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्न ोलोजी' (आईआईटी) की परीक्षा में उत्तीर्ण हो पाया है।
अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) के जय राम ने सामान्य श्रेणी से आईआईटी-संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में 2, 421 वां स्थान पाया है जबकि ओबीसी श्रेणी में उन्हें 309वां स्थान मिला है।
शाह कहते हैं, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे जैसे अनपढ़ मजदूर का बेटा कभी आईआईटी की पढ़ाई भी कर सकेगा।"
उल्लेखनीय है कि इस साल कुल 311,258 प्रतियोगी इस प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षा में बैठे थे जिनमें से मात्र 8,652 उत्तीर्ण हुए।
साधारण शर्ट-पैंट और पैरों में स्लिपर पहनने वाला जय राम कंप्यूटर विज्ञान या मैकेनिकल इंजीनियरिंग से आईआईटी की पढ़ाई करना चाहते हैं। परिवार के साथ वह देश के विकास में भी सहयोग करना चाहते हैं।
जय राम के अलावा इस संस्थान के दीपक कुमार, बिश्वनाथ चौरसिया, कुलेश कुमार और रंजन कुमार जैसे दर्जन भर पिछड़ी जातियों के प्रतिभागियों ने भी आईआईटी में बेहतर स्थान पाया है। इन सभी के पिता छोटे-मोटे काम या मजदूरी करते हैं।
इनकी सफलता को देखकर बिहार के कई गरीब परिवारों को उम्मीद की किरण दिखी है।
'सुपर 30' की स्थापना करने वाले आनंद कुमार ने आईएएनएस से कहा, "पहली बार इस संस्थान ने शत-प्रतिशत सफलता पाई है। इस बैच के 30 छात्रों में से सभी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। पिछले साल इसके 28 बच्चों ने सफलता पाई थी।"
गौरतलब है कि आईआईटी-जी की परीक्षा की तैयारी के लिए अन्य संस्थान 40 हजार से 50 हजार रुपये लेते हैं। जबकि सुपर 30 इससे अलग है। वह न सिर्फ मुफ्त में बच्चों को पढ़ाती है बल्कि भोजन की सुविधा भी मुहैया कराती है। यहां हिंदी या अंग्रेजी हर माध्यम के छात्र आते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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