अकुशल मजदूरों से भारतीय अर्थव्यवस्था से खतरा
नई दिल्ली , 1 जून (आईएएनएस)। प्रशिक्षित मजदूरों की कमी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभर रही है।
नई दिल्ली , 1 जून (आईएएनएस)। प्रशिक्षित मजदूरों की कमी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभर रही है।
योजना आयोग के अनुमान के अनुसार हर वर्ष कामगारों की श्रेणी में शामिल होने वाले एक करोड़ 28 लाख व्यक्तियों में से केवल 20 फीसदी को औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त होता है।
योजना आयोग का कहना है कि जहां अर्थव्यवस्था में विकास की दर नौ प्रतिशत से भी ऊपर है, वहीं मजदूरों को प्रशिक्षत करना सबसे बड़ी चुनौती है। योजना आयोग का मानना है कि प्रशिक्षित कामगारों की शक्ति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संभावनाओं के नए दरवाजे खोल सकती है।
योजना आयोग का अनुमान है कि पूरी दुनिया में 2020 तक चार करोड़ 60 लाख प्रशिक्षित कामगारों की जरूरत होगी। भारत यदि इस दिशा में प्रयास करे तो उसके पास इससे भी अधिक चार करोड़ 70 लाख प्रशिक्षित कामगार तैयार हो सकते हैं।
भारतीय उद्योग संघ (सीआईआई) के कौशल विकास निदेशक हरमीत सेठी का कहना है कि भारत के पास 2022 तक 50 करोड़ प्रशिक्षित टेकि्न शियन तैयार हो सकते हैं। यह लक्ष्य बड़ा तो है पर असंभव नहीं है। इसके लिए असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की कौशल क्षमता बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक प्रयत्न करने होंगे।
प्रशिक्षत कामगारों से न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ती है बल्कि उनकी आमदनी में भी वृद्धि होती है। प्रशिक्षित कामगार विदेशों में जा सकते हैं, जिससे भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। प्रशिक्षत कामगार चाहे तो खुद का कारोबार स्थापित कर सकता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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