भारत में जैव सुरक्षा उपाय अपर्याप्त : यूएन रिपोर्ट
सिडनी, 28 मई (आईएएनएस)। भारत अनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों से जुड़े सुरक्षा मानकों को लेकर अधिक गंभीर नहीं है। ऐसे में उसके जैव आतंकवाद की जद में आने समेत दूसरे खतरे मंडरा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक अध्ययन रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
सिडनी, 28 मई (आईएएनएस)। भारत अनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों से जुड़े सुरक्षा मानकों को लेकर अधिक गंभीर नहीं है। ऐसे में उसके जैव आतंकवाद की जद में आने समेत दूसरे खतरे मंडरा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक अध्ययन रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
यह अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने वाली शोधकर्ता टीम के प्रमुख सैम जौन्सटन, जो मेलबर्न में रहते हैं, ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, "भारत में जैव-सुरक्षा संबंधी उपाय अपर्याप्त हैं। कई किसान सरकारी अनुमति के बगैर ही जीएम बीज का इस्तेमाल कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में 'द हिंदू' 'बिजनेस लाइन' ने रिपोर्ट प्रकाशित की कि गुजरात के 28 फीसदी इलाके में अवैध जीएम बीज का इस्तेमाल हो रहा है।"
अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया कि भारत भले ही कार्टाजेना प्रोटोकॉल ऑन बायोसेफ्टी (सीपीबी) के प्रावधानों पर अमल को लेकर गंभीर है, लेकिन उसे इनके क्रियान्वयन के मामले में कई अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही जैव-सुरक्षा को लेकर भी उसकी तैयारी लचर है।
यह रिपोर्ट मंगलवार की रात जारी की गई। 'यूएन फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी' की शिखर बैठक में यह अहम रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के करीब 100 विकासशील देश आधुनिक जैव-तकनीकी के इस्तेमाल का प्रबंधन करने और इस पर निगरानी रखने में असमर्थ हैं।
जौनस्टन ने कहा कि भारत जैसे देशों के जैव आतंकवाद की चपेट में आने का खतरा है। योकलाहामा स्थित 'यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज' ने यह रिपोर्ट तैयार की है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**