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प्रधानमंत्री ने गुर्जरों की मांग कानून मंत्रालय के हवाले किया (लीड-2)

By Staff
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नई दिल्ली/बयाना/जम्मू (राजस्थान), 27 मई (आईएएनएस)। अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किए जाने की गुर्जर समुदाय की मांग का हल निकालने के लिए इस पूरे मसले को केंद्रीय कानून मंत्रालय के हवाले कर दिया गया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बुलाई गई आपात बैठक में इस आशय का फैसला किया गया।

इस बारे में पूछे जाने पर कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि यह एक साधारण प्रक्रिया है कि आरक्षण से जुड़े मुद्दे को कानून मंत्रालय के हवाले किया जाता है। उक्त अधिकारी ने कहा कि कानून मंत्रालय आरक्षण संबंधी मांग की संवैधानिकता की जांच करेगा।

इससे पहले, आरक्षण की मांग कर रहे गुर्जर समुदाय ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे गए पत्र को छलावा करार दिया है। इस पर नाराजगी जताते हुए गुर्जर समुदाय ने अपने आंदोलन को और भी उग्र और तेज करने की चेतावनी दी है।

'गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति' के प्रमुख किरोड़ी सिंह बैंसला ने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि जब तक हमें अनुसचित जनजाति का दर्जा नहीं मिल जाता हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

उन्होंने कहा, "आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा केंद्र को भेजे गए सिफारिश पत्र से हम संतुष्ट नहीं हैं। हम संविधान की धारा 342 के तहत राज्य सरकार से गुर्जरों के लिए आरक्षण चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने जो पत्र प्रधानमंत्री को भेजा है उसमें सभी सिफारिशें पुरानी हैं।"

गौरतलब है कि राजे ने कल प्रधानमंत्री को इस संबंध में पत्र भेजा था। साथ ही उन्होंने गुर्जर आंदोलन से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की भी अपील की थी।

बैंसला ने कहा कि वसुंधरा द्वारा मनमोहन सिंह को लिखा गया पत्र गुर्जरों को बेवकूफ बनाने का प्रयास है। हमारी मांगे नहीं मानी गई तो यह आंदोलन ओर भी तेज होगा।

राज्य में तनाव को कम करने के लिए राजे के इस कदम का गुर्जरों पर सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। गुर्जर आंदोलनकारियों ने आज भी जयपुर-आगरा, जयपुर-अलवर, जयपुर-कोटा और जयपुर-दौसा राजमार्ग पर यातायात में व्यावधान पहुंचाई।

गुर्जर नेता रणबीर चंडाला ने चेतावनी दी है कि अगले दो दिनों में दिल्ली को दुग्ध आपूर्ति बंद कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हमने राज्य के दस जिलों में बंद का ऐलान किया है।

हजारों समर्थकों के साथ बैंसला विगत पांच दिनों से पिपलुपरा गांव में रेलवे पटरियों पर डेरा डाले हुए हैं। आगे की रणनीति को लेकर गुर्जर नेताओं के बीच लगातार बैठकें हो रही है। गौरतलब है कि राज्य में अभी तक हुई हिंसा में 37 लोगों की मौत हो चुकी है।

इस बीच, राज्य में गुर्जर आंदोलन के मद्देनजर इससे प्रभावित 15 जिलों के कलेक्टरों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की शक्तियां प्रदान की गई हैं।

प्रमुख शासन सचिव (गृह) वी. एस. सिंह ने कहा कि ये शक्तियां अजमेर, अलवर, बारां, भरतपुर, भीलवाड़ा, झुंझुनू, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर और टोंक के कलेक्टरों को प्रदान की गई है। इस बीच 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 40 वाहनों को जब्त किया गया है। अब तक आंदोलन के सिलसिले में विभिन्न थानों में लगभग पचास मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

राजस्थान में जारी गुर्जर आंदोलन का असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़ता जा रहा है। गुर्जर समुदाय द्वारा जारी प्रदशर्न को देखते हुए प्रदेश के पश्चिमी जिलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

अपर पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने कहा कि मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर और मथुरा में गुर्जर समुदाय द्वारा जारी प्रदशर्न को देखते हुए वहां सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही इन जिलों में पीएसी की 6 कंपनियां भेजी गई हैं।

जम्मू-कश्मीर का गुर्जर समुदाय भी आरक्षण के समर्थन में उतर आया है। यहां के गुर्जरों ने कहा है कि वह राजस्थान के गुर्जरों द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग के पक्ष में रेल रोको अभियान शुरू करेंगे।

उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के गुर्जरों को 1991 में अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किया जा चुका है।

गौरतलब है कि राजस्थान में गुर्जरों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा प्राप्त है। वह मीणा समुदाय की बराबरी में एसटी का दर्जा चाहते हैं। एक अन्य तथ्य यह है कि ओबीसी को 27 प्रतिशत और एसटी को 7.5 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा है, लेकिन गुर्जर समुदाय का मानना है कि एसटी दर्जा मिलने से उनके लिए आरक्षण में भी बढ़ोतरी होगी।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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