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आंदोलनकारी गुर्जरों ने बसों और संपत्ति को पहुंचाया नुकसान (लीड)

By Staff
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जयपुर, 24 मई (आईएएनएस)। राजस्थान में पुलिस और गुर्जरों के बीच आज भी संघर्ष का दौर जारी रहा। अनेक स्थानों पर उन्होंने जनसंपत्ति को नुकसान पहुंचाया जिस कारण यातायात प्रभावित हुआ। शुक्रवार की हिंसक वारदातों के बाद आज प्रशासन को सेना बुलानी पड़ी है ।

आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार को यहां रेल यातायात जाम कर रहे गुर्जर आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाई थीं, जिसमें 13 लोग मारे गए थे।

आज राजधानी जयपुर तक पहुंचने वाले अनेक मार्गो को गुर्जरों ने रोका। सीकर जिले में क्रुद्ध भीड़ ने चार बसों को नुकसान पहुंचाया जबकि जयपुर-आगरा राजमार्ग पर सिकंदरा बस स्टैंड के पास एक बस को क्षतिग्रस्त कर दिया। दुमरिया रेलवे स्टेशन पर भी हिंसा की वारदातें हुईं।

राजसमंद जिले में आंदोलनकारियों ने अनेक स्थानों पर राज्य परिवहन की बसों को आगे बढ़ने से रोक दिया। वहीं जयपुर-आगरा राजमार्ग पर राज्य में दाखिल होने की बाट जोह रहे ट्रकों की भीड़ भी दिखाई पड़ी। जयपुर-आगरा और जयपुर-दिल्ली मार्ग पर भी यातायात पर असर पड़ा।

गुर्जर समुदाय ने आज राज्य के अजमेर, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़ जिले में बंद का आह्वान किया था।

राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि एक पुलिसकर्मी की गुर्जरों द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने और रेलमार्ग को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए पुलिस ने गोली चलाई। राज्य सरकार ने पुलिस फायरिंग की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

उन्होंने कहा, "शुरुआत में पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियों के साथ हिंसा पर काबू पाने का प्रयास किया था, लेकिन यह तरीका कारगर न होने पर ही पुलिस को गोली चलानी पड़ी।"

हालात को देखते हुए प्रशासन ने एक स्थान पर चार या अधिक व्यक्तियों के जमा होने पर पाबंदी लगा दी है। राजधानी जयपुर सहित छह जिलों में सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई है।

हिंसा प्रभावित क्षेत्र में त्वरित कार्रवाई बल के 200, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 300 और सेना के 2,000 जवानों को तैनात किया गया है।

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख के.एस. बैंसला ने शुक्रवार को सैकड़ों समर्थकों के साथ बयाना के निकट डुमरिया स्टेशन पर रेलमार्ग जाम कर दिया था। 'रेल रोको आंदोलन' का आह्वान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने किया था।

गौरतलब है कि अति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल गुर्जरों ने खुद को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल करने की मांग को लेकर पिछले वर्ष 29 मई से 4 जून तक आंदोलन किया था।

उस दौरान हुई हिंसा में करीब 26 लागों की मौत हुई थी। बैंसला ने कहा है कि इस बार आंदोलन उनकी मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा, "भारतीय जनता पार्टी की सरकार हमें लंबे समय से बेवकूफ बना रही है, लेकिन इस बार हमारी मांगें पूरी होनी चाहिए।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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