सलवा जुडूम शिविरों का दौरा करने पहुंची मानवाधिकार टीम पर नक्सलियों का हमला, दो पुलिसकर्मी घायल
रायपुर, 20 मई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम कैंपों की जांच करने पहुंची मानवाधिकार आयोग की टीम पर नक्सलियों ने गोलीबारी की। इस गोलीबारी में यद्यपि मानवाधिकार आयोग की टीम का तो कोई सदस्य घायल नहीं हुआ, पर टीम की सुरक्षा के लिए तैनात दो पुलिसकर्मी जरूर घायल हो गए।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार दक्षिण बस्तर में सलवा जुडूम कैंपों की जांच करने पहुंची राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीमों ने दोरनापाल, एर्राबोर, कोंटा, मरईगुड़ा और जगरगुंडा के सलवा जुडूम शिविरों का दौरा किया। टीम के सदस्यों ने कई नक्सल प्रभावित गांवों में भी जाकर लोगों से बातचीत की।
सूत्रों ने बताया कि भाषा की वजह से टीम को लोगों के साथ खुलकर बातचीत करने में समस्या हो रही थी और अनेक सूचनाएं आधी-अधूरी ही सामने आई।
यह मानवाधिकार टीम 18 मई को दक्षिण बस्तर पहुंच कर दो हिस्सों में बंट गई थी। एक टीम धुर नक्सली इलाके गादीरास थाना क्षेत्र के गांवों में पहुंची जहां एक दिन पूर्व ही नक्सलियों ने विस्फोट किया था। इसी टीम ने आगे दोरनापाल व जगरगुंडा के सलमा जुडूम शिविरों में लोगों से बातचीत की। दूसरी टीम ने एर्राबोर और भरईगुड़ा के शिविरों का दौरा किया।
सभी सलवा जुडूम शिविरों में मानवाधिकार टीम के सदस्यों को शिविर में रहने वालों ने घेर लिया और खुलकर नक्सलियों के खिलाफ शिकायतें की। शिविरों में रहने वालों ने कहा कि जंगल में लगातार उन पर दबाव बढ़ता जा रहा था इसलिए उन लोगों को कैंप में आना पड़ा। शिविर के लोग अपने-अपने गांव में इसी शर्त पर लौटना चाहते हैं जब उन्हें सरकार पूरी सुरक्षा देगी और उनके गांव में पुलिस कैंप करेगी।
पहली टीम जब दोरनापाल से बीहड़ वन बसाए गए कैंप जगरगुंडा जा रही थी तब रास्ते में एक आदमी ने टीम को रोककर सलवा जुडूम के खिलाफ कुछ बातें कहीं। इसी टीम पर 19 मई को दो बार नक्सलियों ने गोलीबारी की। पहला हमला टीम पर पौने आठ बजे हुआ जब टीम रवाना होकर थोड़ा अंदर ही पहुंच पाई थी।
दूसरा हमला 12 बजे के आसपास हुआ, जिसमें भांसी थाना के प्रभारी ब्रजेश तिवारी के हाथ में गोली लगी और दूसरी गोली उनकी कमर में लगी बेल्ट से टकराकर लौट गई और वे बाल-बाल बच गए। उनके साथ एक आरक्षक भी घायल हुआ। मानवाधिकार टीम को पूरी फोर्स की सुरक्षा में जगरगुंडा रवाना किया गया था परंतु इस बीहड़ वन में सड़क और पुल-पुलिया सभी कुछ नक्सलियों ने तहस-नहस कर दिया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार की टीम में पुलिस सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी व अन्य लोग हैं। इस टीम का दौरा पूरी तरह से गुप्त रखा गया है। टीम को पत्रकारों और राज्य सरकार के अधिकारियों से भी दूर रखा गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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