आईएनए की कैप्टन जानकी की इच्छा, नेताजी को मिले उचित सम्मान
नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। 'इंडियन नेशनल आर्मी' (आईएनए) से जुड़ी रहीं जांबाज 83 वर्षीय कैप्टन जानकी देवार की एक मात्र इच्छा है कि उनके नेता (नेताजी सुभाष चंद्र बोस) को उनके अमूल्य त्याग व बलिदान के लिए देश उचित पहचान और सम्मान दे।
नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। 'इंडियन नेशनल आर्मी' (आईएनए) से जुड़ी रहीं जांबाज 83 वर्षीय कैप्टन जानकी देवार की एक मात्र इच्छा है कि उनके नेता (नेताजी सुभाष चंद्र बोस) को उनके अमूल्य त्याग व बलिदान के लिए देश उचित पहचान और सम्मान दे।
आईएनए की सदस्य रह चुकीं जानकी 'नेताजी सुभाष बोस- आईएनए ट्रस्ट' द्वारा आईएनए के जांबाजों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने राजधानी आई हुईं थी। जानकी वर्तमान में मलेशिया में रहती हैं।
देशवासियों के दिलों में आईएनए को उचित स्थान दिलाने के लिए प्रयासरत इस संस्था के कार्यक्रम में जानकी ने कहा कि वह 'रानी झांसी रेजिमेंट' में बिताए दिनों की बेहतरीन यादों को कभी नहीं भूल सकतीं। उनकी एकमात्र इच्छा है कि उनके नेता को उनकी अपनी ही धरती पर उचित सम्मान दिया जाए।
गौरतलब है कि आईएनए का गठन युद्धबंदियों और दक्षिणपूर्व एशिया में रहने वाले भारतीयों के सहयोग से किया गया था।
जानकी का परिवार तत्कालीन मलाया यानी मलेशिया में रहता था। आईएनए से जुड़ने वाली शुरुआती महिला स्वयंसेवकों में से वह एक हैं। वह उस मातृभूमि के लिए लड़ीं जिसे उन्होंने कभी देखा भी नहीं था। बाद में मलेशिया की आजादी के लिए भी उन्होंने संघर्ष किया। सन 1946 में वह 'मलेशियन इंडियन कांग्रेस' के सह-संस्थापकों में से एक थीं। बाद में वह मलेशियन संसद की सीनेटर भी बनीं।
शिक्षिका जानकी अथि नाहाप्पन से विवाह के बाद लंदन चली गईं। वहां लॉ स्कूल में पति की पढ़ाई चलती रहे, इसके लिए उन्होंने रात में खाना बनाने की नौकरी की। बाद में दोनों कुआलालंपुर लौटकर मलेशियाई राजनीति में उतर गए। नाहाप्पन सरकार में मंत्री बने और देवार सीनेटर।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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