कुरियर संचालकों की 'हवाला' की अलग है भाषा
भोपाल, 19 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुरियर सेवा के जरिए चल रहे हवाला कारोबार की अपनी अलग भाषा है। इनके कोड और शब्दावली ऐसी हैं जिसे समझ पाना मुश्किल है। पुलिस के हाथ लगे इन कारोबारियों से एकदम नई तरह की जानकारी मिली है।
दिन, समय, नोट पर दर्ज नंबर, रंग और सिक्के सभी हवाला कारोबार की विशिष्ट शब्दावली हैं। शनिवार को पुलिस ने दो कुरियर कंपनियों पर छापा मारकर 12 लोगों को हिरासत में ले लिया। इनके कब्जे से 30 लाख रुपए नकद बरामद किए गए।
पुलिस के मुताबिक देश के 18 राज्यों में कुरियर सेवा के जरिए हवाला का कारोबार चल रहा है। हवाला के जरिए राशि पहुंचाने वाले एक व्यापारी का कहना है कि कुरियर सेवा के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक रकम पहुंचाना बेहद आसान है। इस कारोबार में बेहद गोपनीयता बरती जाती है। रकम पहुंचाने की जानकारी केवल भेजनेवाले, प्राप्त करनेवाले और कुरियर संचालक को होती है।
रकम के लेन देन में किसी तरह की गलतफहमी से बचने केलिए कुरियर संचालकों ने अपनी शब्दावली बना रखी है। मसलन राशि भेजने वाले और संचालक के बीच नोट और उस पर दर्ज नंबर तय हो जाता है। दूसरे स्थान पर पहुंचा व्यक्ति तय नंबर के नोट जब उसे सौंप देता है तब रकम का भुगतान किया जाता है। इसके एवज में लगभग 1 प्रतिशत राशि कुरियर संचालक को मिलती है।
सर्राफा, गल्ला और खाद्य तेल के कारोबारी सबसे ज्यादा लेन देन कुरियर संचालकों के माध्यम से ही करते हैं। मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर, खंडवा, सागर आदि शहरों में नकदी लेन देन बैंकों के बजाए हवाला के जरिए ज्यादा होता है।
सर्राफा व्यापारियों का कहना है कि खरीदे गए माल में से कुछ की वास्तविक कीमत का भुगतान तो वे चेक से कर देते हैं मगर अतिरिक्त राशि का भुगतान हवाला से ही संभव हो पाता है। व्यापारियों का तर्क है कि ऐसा न करने पर उन्हें आयकर से लेकर विक्रय कर के झमेलों से गुजरना होगा।
हवाला के इस गोरखधंधे का खुलासा होने के बाद कुरियर संचालकों से लेकर व्यापारियों तक की नींद उड़ गई है, क्योंकि इससे उनके लेन देन पर असर पड़ेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।