पानी की कमी से मर रहे हैं दुर्लभ प्रजाति के लंगूर
वाराणसी, 12 मई (आईएएनएस)। सोनभद्र के जंगलों में पानी की कमी और भीषण गर्मी के चलते भारी संख्या में काले मुंह वाले बंदरों की मौत हो रही है।
सोनभद्र के जुगैल, अघोरी और कनहर के जंगल दुर्लभ प्रजाति के लंबी पूंछ वाले विशाल लंगूरों के निवास स्थल हैं। जुगैल क्षेत्र के जंगलों में लंगूरों के मरने की खबर चरवाहों से मिली। बताया जाता है कि इस इलाके के पिपरहवा, चुनहबा, रहना, महाराज नाला और तरियाना समेत कई नालों के पानी के सूख जाने के कारण लंगूरों की मौत हो रही है।
गौरतलब है कि यह पूरा इलाका कैमूर वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है जहां पर दुर्लभ प्रजाति के कई जीव जंतु पाए जाते हैं। पिछले वर्ष भी इस क्षेत्र में पानी की कमी के कारण लगभग साठ लंगूरों की मौत हो गई थी। जब मीडिया ने वन विभाग को इस बाबत सूचना दी तो इस इलाके की बंधियों में टैंकर से पानी छोड़ा गया था।
पानी की समस्या पर काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था पयस्वनी के अध्यक्ष नरेंद्र नीरव ने बताया की लंगूरों के जंगलों में पानी की समस्या गहराती जा रही है। इस इलाके के सभी जलाशय सूख चुके हैं। पिछले वर्ष जब इन जंगलों में लंगूरों की मौत हुई थी तब वन विभाग ने छोटे छोटे जलाशय बनवाने का वायदा किया था, लेकिन आज तक जलाशय नहीं बने।
अघोरी के जंगलों का दौरा करके लौटे नरेंद्र नीरव ने बताया कि कई बंदर तो अपने बच्चे के साथ मर गए हैं और कई दो चट्टानों के बीच पानी की तलाश में फंस कर मरे हैं। अघोरी ग्राम सभा के बीडीसी सदस्य राज कुमार ने बताया कि कारजी क्षेत्र के जंगलों में एक ही स्थान पर पांच लंगूरों की मौत हो चुकी है।
गौरतलब है की पूर्वाचल में बंदरों का मरना अशुभ माना जाता है। यह दूसरा साल है जब इतनी संख्या में लंगूर मरे हैं। क्षेत्र के जिला पंचायत अध्यक्ष देवेंद्र ने कई इलाकों का दौरा किया है। उन्होंने फोन पर बताया की स्थिति वाकई भयावह है। यदि वन विभाग ने शीघ्र कोई व्यवस्था नहीं की तो जंगली जीवों का बचना मुश्किल हो जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।