पुरी के मंदिर में राजा बने रहेंगे ज्ञानेंद्र
पुरी, 4 मई (आईएएनएस)। नेपाल में भले ही 239 वर्ष पुरानी राजशाही समाप्त हो गई हो और राजा ज्ञानेंद्र को अपने अधिकार छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा हो, लेकिन वह पुरी के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में राजा की हैसियत से मिलने वाले विशेष धार्मिक अधिकारों का इस्तेमाल करते रह सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि 12 वीं सदी में निर्मित उड़ीसा स्थित पुरी के जगन्नाथ मंदिर को हिंदू धर्म के चार धामों में से एक माना जाता है।
मंदिर के रिकार्ड के अनुसार नेपाल के शाही दंपत्ति के यहां आगमन से पहले संपूर्ण मंदिर को धोया जाता है। इसे धार्मिक कर्मकांडों में शुद्धि के नाम से जाना जाता है।
मंदिर में शाही परिवार के आगमन के दौरान किसी भी श्रद्धालु को प्रवेश करने की अनुमति नहीं होती है।
नेपाल के राजा को मंदिर के पवित्र गर्भगृह में रत्नवेदी पूजा करने का भी अधिकार है। रत्नवेदी पूजा केवल मंदिर के कुछ वरिष्ठ पुजारी ही कर सकते हैं।
जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक सुरेश महापात्र ने आईएएनएस को बताया कि नेपाल के राजा अपना सिंहासन खोने के बावजूद भी पुरी के मंदिर में अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करते रह सकते हैं।
राजा ज्ञानेंद्र पुरी के मंदिर में 29 मार्च 2003 को रानी कमल राज्यलक्ष्मी देवी के साथ आए थे और गर्भगृह के भीतर रत्नवेदी पूजा संपन्न की थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।