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अफगानिस्तान में 11 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण का सामना कर सकते हैं

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नई दिल्ली, 26 मई। पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद संयुक्त राष्ट्र और सहायता समूहों द्वारा लाखों लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए आपातकालीन कार्यक्रम चलाए गए. लेकिन अब ये समूह बिगड़ते हालात से चिंतित हैं. उनके पास सीमित संसाधन हैं और आबादी की जरूरतें बहुत अधिक हैं.

11 million afghan children could face severe malnutrition

इस संकटग्रस्त देश में गरीबी बढ़ती जा रही है. अब पहले से कहीं ज्यादा अफगानों को मदद की जरूरत है. यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण दुनियाभर में खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई है और जो अंतरराष्ट्रीय मदद का वादा अफगानिस्तान के लिए किया गया था वह अब तक पूरा होता नहीं दिख रहा है.

इन सब कारणों से बच्चे ही नहीं उनकी माएं भी अपने आपको खाना खिलाने में असमर्थ हैं. नाजिया नाम की एक अफगान महिला का कहना है कि उनके चार बच्चों की मौत कुपोषण से हुई है. 30 साल की नाजिया ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "मेरे चारों बच्चे भूख और गरीबी से मर गए." नाजिया और उनकी सात साल की बेटी का इलाज परवान प्रांत के एक अस्पताल में चल रहा है. दोनों कुपोषण की शिकार हैं. नाजिया का पति दिहाड़ी पर काम करता है. लेकिन नाजिया कहती हैं कि उनके पति को नशे की लत है और वह घर में पैसे लेकर नहीं आता.

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संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ के मुताबिक, इस साल अफगानिस्तान में 11 लाख बच्चे भीषण भूख से पीड़ित होंगे. बहुत अधिक दुबलापन कुपोषण का सबसे खराब रूप है. इस रोग में बच्चे को भोजन की इतनी कमी हो जाती है कि उसका प्रतिरक्षा तंत्र काम करना बंद कर देता है. उन्हें अन्य बीमारियों के होने का भी खतरा होता है,

पिछले छह महीने में कंधार के एक अस्पताल में 1100 कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया गया, जिनमें से 30 बच्चों की मौत हो गई थी. कंधार के पिछड़े इलाके की जमीला ने कहा कि उनके आठ महीने के बच्चे की पिछले महीने कुपोषण से मौत हो गई थी. वह बताती है, "सरकार ने हमारी मदद नहीं की, किसी ने हमसे नहीं पूछा कि क्या हमारे पास खाने के लिए कुछ है."

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संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां ​​वर्तमान में देश की 38 फीसदी आबादी को बुनियादी भोजन उपलब्ध कराने में सक्षम हैं. लेकिन पैसे की कमी एक बड़ी समस्या है.

यूएन के मुताबिक पिछले साल के अंत तक देश में लाखों लोग गरीबी में डूबे हुए थे और उनके लिए भोजन का खर्च उठाना मुश्किल है. यूएन का कहना है कि लगभग 3.8 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं. जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था चरमराती जा रही है और कीमतें बढ़ती जा रही हैं 2022 के मध्य तक 97 फीसदी आबादी इस रेखा के नीचे जा सकती है.

एए/सीके (एएफपी, एपी)

Source: DW

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English summary
11 million afghan children could face severe malnutrition
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