Pitru Paksha 2020: इस बार द्वितीया का श्राद्ध दो दिन
नई दिल्ली। भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन से आश्विन माह की अमावस्या तक की समयावधि पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष के नाम से जानी जाती है। यह वह समय होता है, जब पृथ्वीवासी अपने मृतक पूर्वजों (पितरों) के निमित्त पिंडदान, तर्पण, दान आदि कर्म करके उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं। इस वर्ष आश्विन माह का प्रारंभ 3 सितंबर से हो रहा है, लेकिन श्राद्ध करने के लिए मध्याह्न काल की अवधि ली जाती है इसलिए प्रतिपदा का श्राद्ध 2 सितंबर को किया जाएगा। इससे पूर्व पूर्णिमा का श्राद्ध 1 सितंबर को मध्याह्न व्यापिनी तिथि में किया जाएगा।
पितृ पक्ष 17 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होंगे। श्राद्ध पक्ष के प्रत्येक दिन अलग-अलग तिथियों में श्राद्ध किया जाता है। परिजनों की जो मृत्यु तिथि होती है, श्राद्ध पक्ष में उसी तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। जिन परिजनों की मृत्यु तिथि पूर्णिमा होती है, उनका श्राद्ध भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इसी प्रकार तिथिवार श्राद्ध किया जाता है। जिन लोगों को अपने मृत पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है, वे सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करते हैं।
द्वितीया का श्राद्ध दो दिन
द्वितीया का श्राद्ध पार्वण और एकोदिष्ट श्राद्ध है। अर्थात् माता, पिता, नाना, नानी, इनकी पूर्व तीन पीढ़ियों के दिवंगत पितरों का पार्वण श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि में अपराहण (मध्यान्होत्तर) काल में करना चाहिए तथा इनके अतिरिक्त भाई-बहन, श्वसुर, मामा, जामाता आदि सभी दिवंगत संबंधियों का एकोदिष्ट श्राद्ध किया जाता है जिसका समय मध्याह्न काल है।
दुर्घटना में मृत का श्राद्ध चतुर्दशी को करें
श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन शस्त्र से, दुर्घटना में, अकाल मृत्यु से मृतकों का श्राद्ध करना चाहिए भले ही उनकी मृत्युतिथि कोई और हो। सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन सभी मृतकों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी ना हो। इस दिन अपने जाने-अनजाने सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।
ये है पूरी तिथियां
- 1 सितंबर पूर्णिमा का श्राद्ध
- 2 सितंबर प्रतिपदा का श्राद्ध
- 3 सितंबर द्वितीया का श्राद्ध (पार्वण)
- 4 सितंबर द्वितीया का श्राद्ध (एकोदिष्ट)
- 5 सितंबर तृतीया का श्राद्ध
- 6 सितंबर चतुर्थी का श्राद्ध
- 7 सितंबर पंचमी का श्राद्ध
- 8 सितंबर षष्ठी का श्राद्ध
- 9 सितंबर सप्तमी का श्राद्ध
- 10 सितंबर अष्टमी का श्राद्ध
- 11 सितंबर नवमी का श्राद्ध
- 12 सितंबर दशमी का श्राद्ध
- 13 सितंबर एकादशी का श्राद्ध
- 14 सितंबर द्वादशी का श्राद्ध, संन्यासियों का श्राद्ध
- 15 सितंबर त्रयोदशी का श्राद्ध
- 16 सितंबर चतुर्दशी का श्राद्ध
- 17 सितंबर सर्वपितृ अमावस्या
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