जानिए होलिका दहन 2017 का मुहूर्त एवं समय
12 मार्च को पूर्णिमा उदय व्यापिनी है। इसी दिन भद्रा का मुख सांय 5 बजकर 35 मिनट से 7 बजकर 33 मिनट तक है।
लखनऊ। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार होलिका दहन या पूजन भद्रा के मुख को त्याग करके करना शुभफलदायक होता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को प्रदोष काल में होलिका दहन करने का विधान है। 12 मार्च को पूर्णिमा उदय व्यापिनी है। इसी दिन भद्रा का मुख सांय 5 बजकर 35 मिनट से 7 बजकर 33 मिनट तक है।
होलिका दहन सांय 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 35 मिनट तक किया जा सकता है।
पूजन विधि
होली में आग लगाने से पूर्व होली का पूजन करने का विधान है। जातक को पूजा करते वक्त पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पूजन करने के लिए माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पॉच प्रकार के अनाज में गेंहूॅ की बालियॉ और साथ में एक लोटा जल रखना चाहिए।
होलिका के चारों ओर सात परिक्रमा
कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर सात परिक्रमा करते हुये लपेटना चाहिए। होलिका जलाने से पूर्व विधिवत पूजन करने के बाद जल से अर्घ्य देना चाहिए। सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्जवलित कर दी जाती है, इसके बाद डंडे को बाहर निकाल लिया जाता है। अन्त में सभी पुरूषों को रोली का तिलक लगाना चाहिए। होली की अग्नि को संकने के बाद जली हुई राख को अगले दिन प्रातःकाल घर में लाना शुभ रहता है। होली की राख का शरीर पर लेप भी करना चाहिए। VIDEO: 'लड्डूमार' के बाद खेली गई विश्व प्रसिद्ध बरसाना 'लट्ठमार' होली