पंजाब: दुष्कर्म के आरोपी विधायक की जमानत याचिका खारिज, पूर्व मंत्री आशु को भी झटका
लुधियाना। बलात्कार के आरोप का सामना कर रहे आत्म नगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे लोक इंसाफ़ पार्टी के प्रमुख सिमरजीत सिंह बैंस की ज़मानत याचिका अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शिव मोहन गर्ग की अदालत ने ख़ारिज कर दी है। अदालत ने गत 7 सितंबर को दोनो पक्षों की बहस सुनी थी व फैसला आज के लिए सुरक्षित रखा था।
अपनी ज़मानत याचिका में बैंस ने कहा की उनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं व राजनीतिक रंजिश के चलते उसे इस मामले में घसीटा गया है व उस पर लगाए गये सभी आरोप झूठे है।उलेखनिए है कि विधायक बैंस सहित अन्य ने पूर्व 11 जुलाई को अदालत में आत्म समर्पण किया था व अदालत ने आरोपियों पुलिस रिमांड के ख़त्म होने के बाद जेल भेज दिया था। उल्लेखनीय है की एक विधवा महिला की शिकायत पर उसके साथ दुष्कर्म किए जाने व अन्य धाराओं के तहत की गई शिकायत के चलते पुलिस थाना डिवीज़न नंबर छह द्वारा अदालत के आदेशों पर विधायक बैंस व अन्य के विरुद्ध मामला दर्ज किया था।
पीड़ित विधवा ने अदालत से पुलिस को विधायक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के आदेश देने की मांग को लेकर याचिका दायर कर की थी।महिला ने कमलजीत सिंह, बलजिंदर कौर, जसबीर कौर उर्फ भाभी, सुखचैन सिंह, परमजीत सिंह उर्फ पम्मा, लुधियाना के गोगी शर्मा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगाई थी,जिनके विरुद्ध भी अदालत में चार्जशीट दायर की गई है।
इधर,
पूर्व
मंत्री
भारत
भूषण
आशु
को
भी
झटका
पंजाब
में
कथित
ट्रांसपोर्ट
टेंडर
घोटाले
में
विजिलेंस
ब्यूरो
लुधियाना
द्वारा
गिरफ्तार
किए
गए
पूर्व
कांग्रेस
मंत्री
एवं
पंजाब
कांग्रेस
के
एक्टिंग
प्रधान
भारत
भूषण
आशु
की
जमानत
याचिका
भी
आज
अजीत
अत्री
स्पेशल
कोर्ट
ने
खारिज
कर
दी।
अतिरिक्त
सत्र
न्यायाधीश
डॉक्टर
अजीत
अत्रि
ने
गत
बुधवार
को
बहस
सुनने
के
बाद
आज
के
लिए
इस
पर
अपना
फैंसला
सुरक्षित
रख
दिया
था।
आशु
के
वकीलों
ने
अदालत
में
बहस
करते
हुए
आशु
को
सियासी
बदले
के
तहत
मामले
में
नामजद
व
गिरफ्तार
किए
जाने
के
आरोप
लगाए
थे
और
कहा
था
कि
आशु
के
खिलाफ
कोई
सबूत
नहीं
मिला
है।
उन्होंने
कहा
कि
आशु
ने
मंत्री
रहते
तमाम
नियमो
का
पालन
किया
था
और
उन्होंने
कोई
घोटाला
नहीं
किया
है,
वही
सरकारी
वकील
व
अन्य
ने
बहस
करते
हुए
कहा
था
कि
घोटाले
में
सीधे
तोर
पर
पूर्व
मंत्री
का
हाथ
है।
उन्होंने
कहा
आर.के.
सिंगला
के
माध्यम
से
सभी
घोटालों
को
अंजाम
दिया
गया।
उन्होंने
यह
भी
आरोप
लगाया
की
मामलों
सम्बन्धी
रिकॉर्ड
भी
मिल
नहीं
रहा
है,
जबकि
पुलिस
को
आशु
के
नजदीकी
की
प्रॉपर्टी
सम्बन्धी
जानकारी
भी
मिली
है।
आरोप
लगाया
की
मामले
में
शिकायत
करने
वालो
को
धमकाया
जा
रहा
है
और
जेल
से
बाहर
आकर
आशु
मामले
के
सबूतों
से
छेड़छाड
कर
सकता
है
और
जांच
को
प्रभावित
कर
सकता
है,
इसलिए
आशु
की
जमानत
रद्द
की
जाए।
अदालत
ने
विजिलेंस
पुलिस
से
मामले
सम्बन्धी
पूरा
रिकॉर्ड
सहित
तलब
किया
था।