झारखंड: बजट राशि का मात्र 43 फीसदी खर्च, सचिवों ने कहा- केंद्र नहीं दे रहा पैसा
रांची,1 नवंबर: वित्तीय वर्ष 2022-23 की बजट राशि के खर्च को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को प्रोजेक्ट भवन में दिन के एक बजे से विभागीय सचिवों की बैठक बुलाई थी।
रांची,1 नवंबर: वित्तीय वर्ष 2022-23 की बजट राशि के खर्च को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को प्रोजेक्ट भवन में दिन के एक बजे से विभागीय सचिवों की बैठक बुलाई थी। अधिकारी दिन के तीन बजे तक मुख्यमंत्री के आने की प्रतीक्षा करते रहे। सीएम नहीं अाए। अंत में मुख्य सचिव ने बैठक की और विभागीय सचिवों को आवश्यक दिशा-निर्देश देकर प्रक्रिया पूरी की। बैठक में यह तथ्य सामने आया कि अब तक वर्तमान वित्तीय वर्ष में बजट की मात्र 43 फीसदी राशि ही खर्च हुई है।
इसमें योजना बजट का 37 फीसदी और स्थापना मद में 53 फीसदी राशि खर्च हुई है। मुख्य सचिव ने अब तक खर्च हुई राशि को नाकाफी बताते हुए विभागीय सचिवों को निर्देश दिया कि वे पूरी राशि खर्च करें और इसमें आ रहे व्यवधान को व्यक्तिगत रुचि लेकर दूर करें। यह भी कहा कि सदन में अनुपूरक बजट पेश किया जाना है। विभागीय सचिव देख लें कि किस मद में वह राशि खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं अथवा उन्हें कहां और अधिक राशि की जरूरत है। समायोजन या प्रत्यर्पण की प्रक्रिया समय रहते पूरी करें।
सीएसएस मद में नहीं मिल रही केंद्र से राशि
ग्रामीण विकास, नगर विकास सहित कई अन्य विभागों के सचिवों ने बताया कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) में भारत सरकार से राशि नहीं मिल पा रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना में राशि की स्वीकृति ही नहीं हुई है। नगर विकास विभाग की कई योजनाओं में भी पैसा ही नहीं आया है। पीएमजीएसवाई में भी समय पर राशि नहीं मिली है। इस तरह केंद्र प्रायोजित कई योजनाओं में राशि नहीं मिलने से बजट की राशि खर्च नहीं हुई है। साथ ही इससे विकास के काम भी बाधित हुए हैं। मुख्य सचिव ने विभागीय सचिवों को सुझाव दिया कि सीएसएस फंड को लेकर वह समेकित रूप से प्रस्ताव तैयार करें। खुद दिल्ली जाकर मंत्रालय से बात करें और राशि विमुक्त कराने की दिशा में ठोस पहल करें।