हरियाणा के स्पोर्ट्स मॉडल को फॉलो करेगा गुजरात, 11 खेल प्रशिक्षकों की टीम यहां आई
करनाल। विकास के मामले में भले ही हरियाणा सरकार गुजरात मॉडल को बेहतर बताती है, लेकिन हरियाणा का स्पोर्ट्स मॉडल गुजरात को भा रहा है। ओलंपिक और पैरालंपिक में हरियाणा के खिलाड़ियों के दबदबे के बाद हरियाणा की खेल नीति और खेल मॉडल दोनों ही इन दिनों चर्चा का विषय है। इसी के चलते गुजरात सरकार ने भी हरियाणा के स्पोर्ट्स मॉडल का अनुसरण करने का मन बनाया है। इसे लेकर गुजरात खेल विभाग की ओर से 11 खेल प्रशिक्षकों की विशेष टीम हरियाणा के स्पोर्ट्स मॉडल व नीतियों को समझने के लिए सूबे में भेजी गई है।
एथलेटिक्स कोच निरंजन चौरसिया के नेतृत्व में हरियाणा पहुंची इस गुजरात टीम में टेनिस कोच समीर पांचाल, एथलेटिक्स कोच धर्मवीर परमार, सुनील चौधरी, बबीता कुमार गमित, सतीश उपाध्याय, कुश्ती कोच मोनिका ताराचंद, वॉलीबॉल कोच चिन्मय शुक्ला, परीता वाला, बास्केटबॉल कोच हुर्श दर्जी और बॉक्सिंग कोच विजय पाटिल शामिल हैं। यह टीम पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत समेत अन्य जिलों में खेल सुविधाओं, खेल संस्कृति और खिलाड़ियों के जज्बे को जानने का प्रयास करेगी। सोमवार को यह टीम करनाल स्टेडियम पहुंची, जहां टीम के सदस्यों ने कर्ण स्टेडियम में खेल प्रशिक्षकों व खिलाड़ियों से बातचीत की। साथ ही स्टेडियम में खेल सुविधाओं को भी देखा। करनाल में फेंसिंग कोच सत्यवीर सिंह और सुमित गौड़ ने टीम के सदस्यों को तमाम खेल संबंधी जानकारियां प्रदान की। दोपहर बाद ये टीम पानीपत के लिए रवाना हो गई।
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खिलाड़ियों
का
खानपान
और
जज्बा,
अभिभावकों
की
निष्ठा
कामयाबी
का
आधार
निरंजन
चौरसिया
के
मुताबिक,
अभी
तक
उन्होंने
हरियाणा
के
विभिन्न
जिलों
में
खेल,
खिलाड़ियों
और
सुविधाओं
को
जितना
समझा
और
परखा
है,
उससे
यह
बात
सामने
आई
है
कि
हरियाणा
में
खिलाड़ियों
का
खानपान
और
जज्बा
बहुत
बेहतर
है।
खिलाड़ी
ही
नहीं
बल्कि
उनके
अभिभावक
भी
खेलों
के
प्रति
उन्हें
प्रोत्साहित
करते
हैं।
ऐसे
में
अभिभावकों
की
निष्ठा
कहीं
न
कहीं
खिलाड़ियों
का
हौसला
बढ़ाती
है।
वहीं
गुजरात
में
अभिभावक
अपने
खिलाड़ी
बच्चों
को
ज्यादा
समय
नहीं
दे
पाते
हैं,
इसलिए
गुजरात
में
खेलों
के
प्रति
युवाओं
की
भागीदारी
अपेक्षाकृत
कम
दिखती
है।
उनके
अनुसार
ये
टीम
हरियाणा
स्पोर्ट्स
कल्चर
को
जानने
और
समझने
के
लिए
आई
है।
टीम
अपनी
कंपाइल
रिपोर्ट
गुजरात
सरकार
को
सौंपेगी।
इस
दौरे
का
मकसद
यही
है
कि
किसी
भी
तरह
गुजरात
में
एक
मजबूत
स्पोर्ट्स
कल्चर
स्थापित
कर
अधिक
से
अधिक
युवाओं
को
खेलों
के
प्रति
आकर्षित
किया
जा
सके।