मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी: अमरावती के विकास में 30 लाख करोड़ रुपये और 100 साल लगेंगे
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने बृहस्पतिवार को कहा कि राजधानी शहर अमरावती का निर्माण सपने का पीछा करने सरीखा होगा, क्योंकि इसके विकास में 30 लाख करोड़ रुपये और 100 साल का समय लगेगा
अमरावती,16 सितंबरः आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने बृहस्पतिवार को कहा कि राजधानी शहर अमरावती का निर्माण सपने का पीछा करने सरीखा होगा, क्योंकि इसके विकास में 30 लाख करोड़ रुपये और 100 साल का समय लगेगा।
विकेंद्रीकरण-प्रशासनिक सुधारों पर राज्य विधानसभा में एक संक्षिप्त चर्चा का समापन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा कीमतों पर अमरावती में बुनियादी ढांचे (जैसे सड़कों, नालियों और बिजली की आपूर्ति) के विकास पर 1.05 लाख करोड़ रुपये की राशि की आवश्यकता होगी। मानसून सत्र के पहले दिन संक्षिप्त चर्चा ही हो सकी।
जगन ने किसानों के चल रहे पैदल मार्च को एक 'नाटक' कहा और कहा कि इसका उद्देश्य क्षेत्रीय घृणा को भड़काना है। अमरावती क्षेत्र के किसान राजधानी क्षेत्र को उच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप विकसित करने की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि अमरावती का विकास केवल कुछ पूंजीपतियों के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य की 80 प्रतिशत आबादी अभी भी सफेद राशन कार्ड (गरीबी रेखा से नीचे) पर रह रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ''बजट को देखते हुए हम पूंजीगत कार्यों पर 1,000 या 2,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष खर्च करने में सक्षम नहीं हैं। इस दर से राजधानी शहर के निर्माण में 100 साल लगेंगे। मुद्रास्फीति के कारण यह लागत 20 लाख से 30 लाख करोड़ रुपये होगी।"
उन्होंने कहा, "यह एक सपने का पीछा करने जैसा होगा। मैं वहां कभी नहीं पहुंच सकूंगा।'' मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके विपरीत विशाखापत्तनम पर केवल 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करना पर्याप्त होगा, क्योंकि वहां बुनियादी आधारभूत ढांचा पहले से मौजूद है। जगन मोहन सरकार की योजना विशाखपत्तनम को राज्य की कार्यकारी राजधानी बनाने की है।
उन्होंने कहा कि फिलहाल केवल 4997 एकड़ भूमि बिक्री के लिए उपलब्ध है।
जगन मोहन ने कहा, ''चंद्रबाबू नायडू सरकार ने एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि 5,020 एकड़ भूमि वाणिज्यिक मुद्रीकरण के लिए उपलब्ध है। अब हमें एक लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिए प्रत्येक एकड़ को 20 करोड़ रुपये में बेचना होगा, जो केवल बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए आवश्यक है।"