डरना या घुटने टेकना आदिवासियों के DNA में नहीं, घुटना टेकना आप जानते हैं, भानु प्रताप पर बरसे हेमंत सोरेन
रांची,11 नवंबर- झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक भानु प्रताप शाही को भी आड़े हाथ लिया. शुक्रवार को आहूत विधानसभा के एक दिन के विशेष सत्र के दौरान प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्र
रांची,11 नवंबर- झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक भानु प्रताप शाही को भी आड़े हाथ लिया. शुक्रवार को आहूत विधानसभा के एक दिन के विशेष सत्र के दौरान प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही ने हंगामा किया, तो मुख्यमंत्री ने कहा, 'इतना हल्ला करते हैं भानु जी, क्या खाकर आते हैं. समझ नहीं आता, बहुत व्यवधान डालते हैं.' सत्र के दौरान हल्ला करने के लिए स्पीकर ने भी भानु प्रताप शाही को नसीहत दी. स्पीकर ने कहा कि कितना अच्छा होता, अगर आपने अपना संशोधन दिया होता.
भाजपा
की
गोद
में
बैठ
गये
भानु
प्रताप
शाही:
हेमंत
सोरेन
मुख्यमंत्री
हेमंत
सोरेन
ने
कहा
कि
भानु
प्रताप
शाही
जब
दूसरी
पार्टी
में
थे,
तब
भारतीय
जनता
पार्टी
की
सरकार
को
पानी
पी-पी
कर
कोसते
थे.
आज
उनकी
गोद
में
बैठ
गये
हैं
और
सदन
में
व्यवधान
उत्पन्न
कर
रहे
हैं.
भानु
प्रताप
ने
इस
पर
कुछ
जवाब
दिया,
तो
झारखंड
मुक्ति
मोर्चा
के
कार्यकारी
अध्यक्ष
हेमंत
सोरेन
ने
कहा
कि
डरना
या
घुटने
टेकना
आदिवासियों
के
डीएनए
में
नहीं
है.
घुटना
टेकना
आपलोग
जानते
हैं.
केंद्रीय
जांच
एजेंसियां
भाजपा
की
रिश्तेदार
हेमंत
सोरेन
ने
कहा
कि
इस
राज्य
के
लोग
स्वाभिमानी
होते
हैं.
मान-सम्मान
से
समझौता
नहीं
करते.
मुख्यमंत्री
ने
कहा
कि
केंद्रीय
जांच
एजेंसियां
भाजपा
की
रिश्तेदार
बन
गयीं
हैं.
उन्होंने
कहा
कि
लाखों-करोड़ों
रुपये
के
साथ
इनके
लोग
पकड़े
जाते
हैं,
तो
एजेंसियां
उसे
घर
तक
छोड़कर
आती
हैं.
किसी
के
घर
में
चावल
का
एक
दाना
नहीं
मिलता,
उसे
जेल
में
डाल
देते
हैं.
उन्होंने
कहा
कि
'रामचंद्र
कह
गये
सिया
से,
ऐसा
कलयुग
आयेगा.
हंस
चुगेगा
दाना
तुनका,
कौआ
मोती
खायेगा'
वाली
हालत
हो
गयी
है.
स्थानीय
नीति
और
आरक्षण
से
जुड़े
दो
बिल
पास
बता
दें
कि
झारखंड
मुक्ति
मोर्चा-कांग्रेस-राष्ट्रीय
जनता
दल
की
महागठबंधन
सरकार
ने
'झारखंड
स्थानीय
व्यक्तियों
की
परिभाषा,
परिणामी,
सामाजिक,
संस्कृति
एवं
अन्य
लाभ
को
ऐसे
स्थानीय
व्यक्तियों
तक
विस्तारित
करने
के
लिए
विधेयक
2022'
और
'झारखंड
पदों
एवं
सेवाओं
की
रिक्तियों
में
आरक्षण
संशोधन
विधेयक
2022'
को
पारित
कराने
के
लिए
11
नवंबर
2022
को
एक
दिन
का
विशेष
सत्र
आहूत
किया
था.
ध्वनिमत
से
दोनों
विधेयकों
को
सदन
ने
पारित
कर
दिया.
स्थानीय
नीति
में
माले
विधायक
विनोद
सिंह
के
प्रस्ताव
को
सरकार
ने
स्वीकार
किया,
बाकी
संशोधनों
को
खारिज
कर
दिया
गया.