सूर्य ग्रहण और सोमवती अमावस्या साथ-साथ: जानिए क्या करें और क्या ना करें?
नई दिल्ली। आज एक ऐतिहासिक खगोलीय घटना आकाश में घटने जा रही है, जी हां आज 'पूर्ण सूर्यग्रहण' लगने जा रहा है। जहां आज ग्रहण है वहीं दूसरी ओर आज सोमवती अमावस्या भी है इसलिए धार्मिक दृष्टिकोण से ये ग्रहण काफी प्रभावी है।
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हालांकि ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और ना ही सूतक लगेगा लेकिन इसके बावजूद इसका अपना महत्व है इसलिए आज का दिन जाया ना होने दें क्योंकि ये दुर्लभ संयोग आपको जल्दी नहीं मिलेगा।
अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित
काशी के पंडित दिवाकर शास्त्री के मुताबिक अगर अमावास्या सोमवार हो और सूरज और चंद्रमा एक सीध में हो तो ये योग के दृष्टिकोण से काफी शुभ होता है। वैसे भी अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित है और आज के दिन विशेष पूजा का विधान है, ऊपर से ग्रहण लग जाने की वजह से आज के दिन की गई पूजा सफल होगी इसलिए काशी के गंगा घाट पर विशेष पूजा की जा रही है।
पूजा नदी या नहर किनारे
बस पंडितों के मुताबिक सोमवती अमावस्या की पूजा घर के अंदर ना करें क्योंकि ग्रहण काल में भगवान को छूआ नहीं जाता है इसलिए पूजा नदी या नहर किनारे ही करें।
सोमवती अमावस्या
सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है। इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व होता है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है
क्या करें?
- भगवान का ध्यान करें।
- घर में धूप और अगरबत्ती जलाकर रखें।
- नदी किनारे स्वच्छ वातावरण में साफ मन से पितरों का ध्यान करें।
- पंडितों और गरीबों को दान करें।
- सूर्य को अर्ध्य दें।
- भगवान शिव, माता पार्वती और तुलसी की पूजा करें।
- इसके बाद पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमाएं करें।
- लेकिन तुलसी का ना छूएं।
- ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें और अन्न, वस्त्र, धनादि का दान करें।
- सूर्य ग्रहण के बाद मंदिर की सफाई करें और भगवान को नये कपड़े पहनाएं।
- सूर्य ग्रहण के बाद तुलसी और घर में गंगाजल छिड़कें।
- भगवान को मीठे का भोग लगाएं और घर के सभी लोगों को खिलाएं।
ग्रहण खत्म होने के बाद ये करें..