Nirjala Ekadashi 2022: आज है निर्जला एकादशी, जानिए कथा और महत्व
नई दिल्ली, 07 जून। आज ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी कि निर्जला एकादशी होती है। यह वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी होती है। जो लोग वर्ष भर की एकादशियों का व्रत प्रारंभ करना चाहते हैं उन्हें इसी दिन से व्रत प्रारंभ करना चाहिए। यह एकादशी इस बार दो दिन मनाई जाएगी। आज एकादशी तिथि प्रात: 7.28 से प्रारंभ हो गई है जो कि 11 जून को प्रात: 5.47 बजे तक रहेगी। चूंकिसूर्योदय के समय एकादशी तिथि 11 जून को पड़ रही है इसलिए वैष्णव मत को मानने वाले 11 जून को ही एकादशी करेंगे जबकिस्मार्त मतावलंबी 10 जून को एकादशी मना लेंगे। निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को आम्र का नैवेद्य लगाना चाहिए।
शास्त्रों का कथन है कि निर्जला एकादशी करने से वर्ष की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। इसका व्रत पूर्ण शास्त्रीय विधान के अनुसार करना चाहिए। इसे निर्जला एकादशी इसलिए कहा जाता है, क्योंकिइस दिन पानी तक ग्रहण नहीं किया जाता है। यह व्रत पूर्ण निर्जल रहते हुए करना होता है। इसे पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकिइसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था।
Recommended Video
निर्जला एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार सभी पांडव और द्रौपदी भगवान विष्णु के परम भक्त थे। वे सभी वर्ष की समस्त एकादशियों का व्रत किया करते थे, लेकिन भीम किसी भी एकादशी का व्रत नहीं कर पाता था क्योंकिवह भूखा नहीं रह सकता था। भूख सहन न कर पाने के कारण वह व्रत नहीं करता था और इसीलिए उसके मन में हमेशा यह पीड़ा रहती थी किवह एकादशी का व्रत ना करके भगवान विष्णु का अनादर कर रहा है। भीमसेन अपनी इस परेशानी को दूर करने के लिए महर्षि व्यास के पास गया और अपनी पीड़ा कही। महर्षि व्यास ने भीमसेन से कहा किअगर तुम वर्ष की समस्त एकादशी पर व्रत नहीं कर सकते तो भी तुम्हें कम से कम एक निर्जला एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए, इसे पूर्ण श्रद्धा और शास्त्रोक्त विधि से करोगे तो समस्त एकादशियों का पुण्य तुम्हें मिल जाएगा। भीमसेन को यह बात जमी कि24 एकादशी करने से अच्छा है एक कर ली जाए। भीमसेन से सभी भाइयों के साथ निर्जला एकादशी का व्रत किया। तभी से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी भी कहा जाने लगा।
Ganga Dussehra 2022 : जानिए कब है गंगा दशहरा, क्या है इसकी कथा और महत्व
कैसे करें एकादशी पूजा
- निर्जला एकादशी व्रत से एक दिन पहले गंगा दशहरा के दिन व्रती एक ही समय भोजन करें।
- एकादशी के दिन सूर्योदय पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर श्वेत स्वच्छ वस्त्र धारण करे और पूजा स्थान को स्वच्छ करके गंगाजल छिड़कें।
- चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- एकादशी व्रत का संकल्प लें। यदि पूरे साल की एकादशी प्रारंभ करना चाहते हैं तो उसके लिए भी संकल्प करें।
- पंचोपचार या षोड़शोपचार पूजन संपन्न करें। विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।
- विष्णुजी का श्रृंगार पीले रंग के पुष्पों से करना चाहिए।
- इस दिन पूजा में भगवान विष्णु को आम का नैवेद्य लगाया जाता है।
- व्रती पूरे दिन निराहार, निर्जल रहे।
- अगले दिन द्वादशी को प्रात: व्रत का पारण करें।
एकादशी का समय
- एकादशी प्रारंभ 10 जून प्रात: 7.28 से
- एकादशी पूर्ण 11 जून प्रात: 5.47