Makar Sankranti 2022: जानिए मकर संक्रांति में क्यों खाते हैं 'खिचड़ी'?
नई दिल्ली, 13 जनवरी। 'मकर संक्रांति' हिंदूओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके दान-पु्ण्य करते हैं और घरों में दही -चूड़ा और 'खिचड़ी' का सेवन करते हैं। यूपी-बिहार में संक्रान्ति को खिचड़ी के ही नाम से संबोधित किया जाता है।
आइए जानते हैं कि इस खास पर्व पर क्यों खाते हैं खिचड़ी और क्या है दान का महत्व?
यूपी-बिहार में चावल अधिक होता है
दरअसल यूपी-बिहार में चावल अधिक होता है। इस वक्त फसलें कटती हैं और लोगों के घरों में नया चावल पहुंचता है। मकर संक्रांति को नए वर्ष के रूप में मनाया जाता है इसलिए नए चावल के जरिए नए साल का स्वागत किया जाता है। ये तो हुआ तथ्यात्मक कारण तो वहीं इसके पीछे एक मान्यता है कि खिचड़ी से लोगों के रिश्तों में घनिष्ठता पैदा होती है।
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'खिचड़ी' दाल-चावल से मिलकर बनती है
दरअसल यूपी-बिहार में जब शादी होती है तो शादी के दूसरे दिन यानी कि लड़की की विदाई होने से पहले लड़की के घरवाले वर के घरवालों को खिचड़ी खिलाते हैं क्योंकि 'खिचड़ी' दाल-चावल से मिलकर बनती है और दोनों जब अलग-अलग होते हैं।
'खिचड़ी' को खाया और खिलाया जाता है
तो अलग-अलग पहचान रखते हैं और इन्हें पहचानना आसान होता है लेकिन जब दोनों मिलकर 'खिचड़ी' बनाते हैं तो दोनों को अलग कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसी ही अपेक्षा लड़की वालों का परिवार लड़के वालों से रखता है कि शादी के बाद दोनों परिवार भी 'खिचड़ी' की ही तरह एक हो जाए, जिन्हें अलग कर पाना मुश्किल हो। इसलिए शादी में 'खिचड़ी' खिलाने की परंपरा है।
महत्व
'मकर संक्रांति' को कहीं-कहीं 'उत्तरायण' कहा जाता है। तो वहीं यूपी में इस दिन माघ मेले का आयोजन होता है। इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण का खासा महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है इस दि्न दान करने से सौ गुना पुण्य प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन घी, तिल और कंबल के दान का भी विशेष महत्व है। इस त्योहार का संबंध केवल धर्मिक ही नहीं है बल्कि इसका संबंध ऋतु परिवर्तन और कृषि से है। इस दिन से दिन एंव रात दोनों बराबर होते है।