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Mahavir Jayanti 2018: भगवान महावीर ने कहा था जहां 'सत्य' नहीं वहां 'धर्म' नहीं...

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नई दिल्ली। महावीर जयंती 29 मार्च को है, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर या वर्धमान महावीर की जयंती हर साल दुनिया भर में पूरे हर्षोल्‍लास के साथ मनाई जाती है। जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर ने लोगों को समझाया कि अपना नजरिया बदलो तभी दुनिया अच्छी लगेगी। अगर आपके नजर में खराबी है तो आप अच्छे-खासे वस्त्र वाले इंसान को भी बिना कपड़े वाला ही समझेंगे।

भगवान महावीर का जन्म

भगवान महावीर का जन्म

भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था। महावीर को 'वर्धमान', वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है। तीस वर्ष की आयु में गृह त्याग कर, दीक्षा लेकर आत्मकल्याण के पथ पर निकले महावीर को 12 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ था।

 पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई थी

पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई थी

उन्हें 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। त्याग और तपस्या के प्रतीक महावीर ने दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया और जीवन के पांच मूल मंत्र लोगों को सिखाये जो कि जैन धर्म का मंत्र बन गया।

भगवान महावीर के ये मंत्र

भगवान महावीर के ये मंत्र

  • सत्य: सदा सत्य बोलो क्योंकि सच्चे इंसान के साथ कभी कुछ गलत नहीं होता। सत्य की जीत हमेशा होती है और जहां 'सत्य' नहीं वहां 'धर्म' नहीं होता है।
  • अहिंसा: जीव हत्या मत करो, दुनिया के हर जीव के प्रति अपने मन में दया का भाव रखो। उनकी रक्षा करो।
  • अपरिग्रह: जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह कराता है उसको दुःखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता।
  • ब्रह्मचर्य: ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है। जो पुरुष स्त्रियों से संबंध नहीं रखते, वे मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ते हैं।
  • क्षमा: जो क्षमादान देना जानता है वो दुनिया का सर्वश्रेष्ठ इंसान है।
  • धर्म: अहिंसा, संयम और तप ही धर्म है।
  • अस्तेय: कभी भी चोरी नहीं करनी चाहिए।

महावीर जयंती

महावीर जयंती

महावीर जयंती को महावीर स्‍वामी जन्‍म कल्‍याणक के नाम से भी जाना जाता है। ये जैन समुदाय का यह सबसे प्रमुख पर्व है। इस दिन जैन मंदिरों में महावीर की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है, इसके बाद मूर्ति को एक रथ पर बिठाकर जुलूस निकाला जाता है और व‍िशेष आयोजन किए जाते हैं।

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Comments
English summary
In 2018, Mahavir Jayanti will be celebrated on March 29 and like every year, The festival is observed by the Jain community across the world to mark the birth anniversary of Mahavir, the 24th and last Tirthankara in Jainism.
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