Jagannath Rath Yatra 2022: जानिए क्यों निकाली जाती है 'रथ यात्रा', क्या है इसकी कथा?
नई दिल्ली, 27 जून। भगवान जगन्नाथ की पवित्र 'रथ यात्रा' का प्रारंभ 01 जुलाई से होने जा रहा है। विश्वप्रसिद्ध इस यात्रा में शामिल होने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं। इस यात्रा की तैयारी जोर-शोर से हो रही है। आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर हिन्दुओं के चार धाम में से एक है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। आप में से सभी के मन में ये इच्छा जरूर होगी कि आखिर पुरी यात्रा का महत्व क्या है और क्यों ये यात्रा निकाली जाती है?
छोटी बहन सुभद्रा ने जाहिर की थी इच्छा
तो चलिए आज आपकी इस उत्सुकता को हम दूर कर देते हैं। दरअसल पुरी की रथ यात्रा के पीछे बहुत साी कहानियां प्रचलित हैं। जिनमें से एक है कि एक बार श्रीकृष्ण, जो कि जगन्नाथ के रूप में पुरी मंदिर में विराजते हैं, से उनकी छोटी बहन सुभद्रा कहती हैं कि वो द्वारिका दर्शन करना चाहती हैं लेकिन सड़क मार्ग से। भगवान श्रीकृष्ण अपनी छोटी बहन की इच्छा का सम्मान करते हैं और तुरंत हांमी भर देते हैं।
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'दाऊ हम आपके बिना कैसे जा सकते हैं?
अपने दोनों छोटे भाई-बहनों की बातें बड़े भईया बलराम सुन रहे थे तो उन्होंने कहा कि 'मैं भी चलूंगा', जिसे सुनकर श्रीकृष्ण ने कहा कि 'दाऊ हम आपके बिना कैसे जा सकते हैं? आप ही तो हमारे मार्गदर्शक हो।' इसके बाद बलराम, सुभद्रा और श्रीकृष्ण तीनों ने रथ के जरिए ये यात्रा पूरी की थी, तब से ही रथ यात्रा प्रारंभ हो गई।
... इसलिए रथ यात्रा में सबसे आगे प्रभु बलराम का रथ चलता है
अब चूंकि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बड़े भाई को अपना मार्गदर्शक कहा था इसलिए रथ यात्रा में सबसे आगे प्रभु बलराम का रथ चलता है, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है। माना जाता है कि जिन रास्तों से भगवान का रथ गुजरता है, वो मार्ग पावन हो जाता है और उस जगह ईश्वर का वास हो जाता है।
रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को प्रारंभ होती है
माना जाता है कि रथ यात्रा में भाग लेने से व्यक्ति हर कष्ट से दूर हो जाता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसकी हर वो इच्छा पूरी होती है, जिसकी कामना वो करता है। गौरतलब है कि हर बार रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को प्रारंभ होती है और इस बार ये तिथि 1 जुलाई यानी कि शुक्रवार को है।