Ganga Dussehra 2021: 'गंगा दशहरा' आज, जानिए इसका महत्व
नई दिल्ली, 14 जून। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशमी या गंगा दशहरा कहा जाता है। आज गंगा दशमी है। आज चित्रा नक्षत्र, परिधारी योग और गर करण रहेगा और यही नहीं आज रवियोग का शुभ संयोग भी है जो सायं 6.49 बजे तक रहेगा, मालूम हो कि आज बटुक भैरव जयंती भी है।आज के ही दिन से कुंभस्थ गुरु भी रात्रि में 8.34 बजे से वक्री हो रहा है जो आयु और आरोग्यवर्द्धक होता है।
घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें
भारतवासियों की आस्था की केंद्र मां गंगा ने जिस दिन शिवजी की जटा से निकलकर पहली बार धरती का स्पर्श किया था, वह दिन गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा में सच्ची श्रद्धा से एक डुबकी लगाने से अनेक जन्मों के पाप कट जाते हैं। गंगा दशमी के दिन गंगा में स्नान करने का महत्व है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण यह संभव नहीं हो पाए तो अपने घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। गंगा मैया का मानसिक स्मरण करें। इसके बाद शुद्ध श्वेत वस्त्र धारण कर मां गंगा की मूर्ति का पूजन करें। इसके साथ ही राजा भगीरथ, हिमालय और शिवजी का पूजन भी किया जाता है। इस दिन गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करने से समस्त प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
ऐसे धरती पर आई मां गंगा
एक बार महाराज सगर ने यज्ञ किया। उस यज्ञ की रक्षा का भार उनके पौत्र अंशुमान ने संभाला। इंद्र ने सगर के यज्ञीय अश्व का अपहरण कर लिया और पाताल लोक में तपस्या कर रहे महर्षि कपिल के आश्रम में छोड़ दिया। यह यज्ञ के लिए विघ्न था। परिणामत: अंशुमान ने सगर की साठ हजार प्रजा लेकर (कहीं कहीं इन्हें 60 हजार पुत्र बताया गया है।) अश्व को खोजना शुरू कर दिया। सारा भूमंडल खोज लिया पर अश्व नहीं मिला। फिर अश्व को पाताल लोक में खोजने के लिए पृथ्वी को खोदा गया। खुदाई पर उन्होंने देखा किसाक्षात भगवान महर्षि कपिल के रूप में तपस्या कर रहे हैं। उन्हीं के पास महाराज सगर का अश्व घास चर रहा है। प्रजा उन्हें देखकर चोर-चोर चिल्लाने लगी। महर्षि कपिल का ध्यान टूट गया। ज्यों ही महर्षि ने अपने नेत्र खोले, सारी प्रजा भस्म हो गई। इन मृत लोगों के उद्धार के लिए महाराज दिलीप के पुत्र भगीरथ ने कठोर तप किया था। भगीरथ के तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उनसे वर मांगने को कहा तो भगीरथ ने गंगा की मांग की। इस पर ब्रह्मा ने कहा_ राजन! तुम गंगा का पृथ्वी पर अवतरण तो चाहते हो? परंतु क्या तुमने पृथ्वी से पूछा है किवह गंगा के वेग को संभाल पाएगी? मेरा विचार है किगंगा के वेग को संभालने की शक्ति केवल भगवान शंकर में है। इसलिए उचित यह होगा किगंगा का भार एवं वेग संभालने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न किया जाए।
भगीरथ पृथ्वी पर गंगा का वरण करवाने में सफल हुए
महाराज भगीरथ ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया। तब गंगा को ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से छोड़ा और शिवजी ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर फिर उसे कम वेग से पृथ्वी पर प्रवाहित किया। इस प्रकार शिवजी की जटाओं से छूटकर गंगाजी हिमालय की घाटियों में मैदान की ओर मुड़ी। इस प्रकार भगीरथ पृथ्वी पर गंगा का वरण करवाने में सफल हुए।
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दस योग से नाम पड़ा दशहरा
पुराणों के अनुसार जिस दिन गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था उस दिन दस शुभ योग बने हुए थे और इनके कारण मनुष्य के दस पापों का नाश होता है इसलिए इस दिन को दशहरा कहा जाता है। गंगा दशहरा के दिन ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार, हस्त नक्षत्र, गर करण, आनंद योग, व्यतिपात योग, कन्या का चंद्र, वृषभ का सूर्य इन 10 योगों में मनुष्य गंगा स्नान करके पापों से छूट जाता है।