धनतेरस पर होती है यमराज की पूजा
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार यमराज की पूजा सिर्फ इसी दिन होती है। कार्तिक मास की कुष्ण त्रयोदशी का नाम ही, धनतेरस है। कार्तिक त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक, पांच दिन पर्यन्त दीपावली महोत्सव का ही क्रम जारी रहता है। धन त्रयोदशी पर उत्तर भारत में बर्तन खरीदना तथा दक्षिण भारत में सोन, चांदी के आभूषण खरीदने की परम्परा प्रचलित है। परन्तु इन वस्तुओं की खरीददारी का धर्म सिन्धु, निर्णय सिन्धु और पर्व विवके आदि ग्रन्थों में कहीं उल्लेख नहीं मिलता है। वस्तुतः यह धन त्रयोदशी यमराज से संबंधित एक व्रत है। इस व्रत को जो भी जातक श्रद्धा व विश्वास के साथ रखकर विधिवित पूजन करता है, उसके परिवार में आसमयिक मृत्यु कदापि नहीं होती है। ऐसी मान्यता है।
पूजन विधि-
धन त्रयोदशी के दिन घर के मुख्द्वार पर यमराज के निमित्त दीपदान करना चाहिए। रात्रि को एक दीपक में तेल, एक कौड़ी, काजल, रोली, चावल, गुड़, फल, फूल व मीठे के सहित दीपक जलाकर यमराज का पूजन करना चाहिए। दीप प्रज्जवल्लित करते समय निम्न मन्त्र से प्रार्थना करनी चाहिए।
मृत्युना
पाशहस्तेन
कालेन
भार्याय
सह।
त्रयोदश्यां
दीपदानात्सूर्यजः
प्रीयतामित।।
इस मंत्र के साथ पूजन करने से अच्छे फल प्राप्त होते हैं। इस बार धन त्रयोदशी 24 अक्टूबर दिन सोमवार को मध्यान्ह 12:31 बजे से 25 अक्टूबर दिन मंगलवार को प्रातः 9:02 बजे तक है। प्रदोष व्यापनी त्रयोदशी 24 अक्टूबर को मनाई जायेगी परन्तु उदयव्यापनी त्रयोदशी 25 अक्टूबर को है।
खरीददारी
का
शुभ
मुहूर्त-
24
अक्टूबर
प्रातः
6:30
बजे
से
रात्रि
12:40
बजे
तक
है।
व्यवसाय
के
लिए
शुभ
मुहूर्त-
24
अक्टूबर
मध्यान्ह
12:30
बजे
से
सांय
6:30
बजे
तक।