सीएम योगी ने 8 साल बाद सपा सरकार का आदेश पलटा, अब मृत शिक्षकों के आश्रित बनेंगे क्लर्क
लखनऊ, मई 26: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे अहमद हसन ने मृत शिक्षकों का सम्मान बचाने का जो वादा किया, उसे योगी आदित्यनाथ सरकार ने धरातल पर उतारा है। आश्रितों को चतुर्थ श्रेणी के अधिसंख्य (पद न होने पर भी) पद पर नियुक्ति देने का आदेश भी सपा शासन का ही है। वह आदेश अब पलटा है और मृत शिक्षकों के आश्रितों को तृतीय श्रेणी (लिपिक) के अधिसंख्य पद पर नियुक्ति देने का आदेश हुआ है। शिक्षक इसकी मांग लंबे समय से कर रहे थे। विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की जरूरत भी नहीं थी, फिर भी पाल्यों को उन्हीं स्कूलों में अनुचर बनना पड़ा था, जहां उनके पिता या पति शिक्षक थे।
उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 26 जुलाई, 2011 को लागू हुआ, उसके पहले तक मृत शिक्षकों के आश्रितों को स्नातक होने पर बीटीसी का प्रशिक्षण दिलाकर शिक्षक पद पर नियुक्ति दी जाती रही। नए नियम से स्नातक के साथ प्रशिक्षण व टीईटी होना अनिवार्य हुआ तो आश्रितों को नियुक्ति देने में लंबे समय तक असमंजस रहा। शासन के निर्देश पर 15 फरवरी, 2013 को बेसिक शिक्षा परिषद ने आश्रितों की नियुक्ति की गाइडलाइन जारी की।
आश्रितों की नियुक्ति की गाइडलाइन में कहा गया कि आश्रित यदि स्नातक, प्रशिक्षण प्राप्त और टीईटी उत्तीर्ण नहीं है तो उसे शिक्षक पद पर नियुक्ति न दी जाए। यदि आश्रित इंटरमीडिएट उत्तीर्ण है और परिषदीय कार्यालयों में कनिष्ठ लिपिक का पद रिक्त है तो उसकी नियुक्ति लिपिक पद की जा सकती है। वहीं, आश्रित कक्षा आठ उत्तीर्ण हो और कार्यालय व विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी का पद रिक्त न हो तो भी अधिसंख्य पद पर नियुक्ति की जा सकती है। बता दें कि परिषदीय विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी का पद अब तक सृजित नहीं है और कार्यालयों में गिने-चुने लिपिक के पद थे, इसलिए अधिकांश आश्रित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही बन पाए। योगी सरकार इस नियम को बदलने के लिए 20 माह से मंथन कर रही थी। अब इसे पलट दिया गया है।
बेसिक शिक्षा मंत्री ने आश्रितों की लिपिक पद पर नियुक्ति का आदेश दिया है लेकिन, योग्यता को लेकर ऊहापोह है शासन व विभाग के अफसर स्नातक आश्रित को लिपिक पद पर तैनात करने का हवाला दे रहे हैं। वहीं, चतुर्थ श्रेणी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष जुबेर अहमद का कहना है कि कार्मिक की नियमावली में लिपिक के लिए इंटर होना चाहिए। विभाग में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का समायोजन होगा, इसके लिए शासनादेश का इंतजार हो रहा है।