विपक्षी दलों को अगर किसानों की चिंता होती तो उन्हें कोरोना जांच और टीके के लिए प्रेरित करते- अनिल विज
चंडीगढ, मई 25। दिल्ली की सीमाओं पर फिर से किसान आंदोलन को जिंदा किया जा रहा है। तमाम विपक्षी नेताओं ने किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया है। ऐसे में अब ये आंदोलन राजनीति का केंद्र बनता जा रहा है। पिछले छह माह से आंदोलन पर बैठे किसान संगठनों ने जहां केंद्र सरकार के साथ वार्ता की पेशकश की है, वहीं सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा के 26 मई के आंदोलन के आह्वान पर बड़े सवाल खड़े किए हैं। गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने विपक्षी राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा है कि यदि वो इतने ही शुभचिंतक होते तो पहले उनके स्वास्थ्य की चिंता करते तथा उन्हें कोरोना जांच, उपचाार व टीकाकरण के लिए प्रेरित करते।
आपको बता दें कि 26 मई को किसान संगठनों के आंदोलन के छह महीने पूरे हो रहे हैं। इस अवधि में आंदोलन को लेकर कई उतार-चढ़ाव आए। करीब 180 दिन तक चलने वाले इस आंदोलन को देश-विदेश से आर्थिक और राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है। अब आर्थिक मदद में तो कमी महसूस की जा रही है, लेकिन सरकार विरोधी राजनीतिक दल आंदोलनकारियों को ढाल बनाकर अपने मंसूबों में कामयाब होने की रणनीति पर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के साथ एक दर्जन बार किसान संगठनों की बातचीत हो चुकी है, लेकिन हर बार तीन कृषि कानूनों को रद करने के बाद ही बातचीत को आगे बढ़ाने की दुहाई इन किसान संगठनों के गले की फांस बन गई है। अब जबकि कोरोना का असर बढ़ रहा है और आंदोलन स्थल पर पहले सरीखे खाने-पीने, सोने, रहने और खेल-मनरंजन के बंदोबस्तों में बहुत ज्यादा कमी आ गई तो मजबूरी में बैठे लोग भी अपने घरों को लौटना चाहते हैं।
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