किसान आंदोलन में फूट डालने की साजिश रच रही मोदी सरकार: भगवंत मान
नई दिल्ली, 28 जुलाई: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन करीब 8 महीने से चल रहा है। किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। वहीं किसानों को इस आंदोलन को विपक्ष का भी समर्थन मिला हैं। आम आदमी पार्टी के नेता और पंजाब से आप सांसद भगवंत मान ने मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। संसद में लगातार सातवीं बार 'काम रोको प्रस्ताव' पेश करते भगवंत मान ने कहा कि कृषि प्रधान देश में खेत और किसान की बात सड़कों पर तो जरूर होती है, लेकिन देश की संसद में खेत और किसान की बात नहीं की जा रही।
पंजाब आप अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान ने बुधवार को संसद के बाहर लगातार 7वीं बार संसद में 'काम रोको प्रस्ताव' पेश करने के दौरान पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अंग्रेजी हुकूमत की 'फूट डालो और राज करो' नीति से चार कदम आगे बढ़ती हुई 'लड़ाओ और राज करो' की नफरत भरी नीति पर उतर आई है। वो किसान आंदोलन को कमजोर करने के लिए भद्दी चालें चल रही है, जिससे काले कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को तोड़ा जा सके।
सांसद मान ने कहा कि काले कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए जारी किसान आंदोलन देश के लोगों में बड़े स्तर पर जागृति पैदा कर रहा है। मान ने कहा कि शहीद-ऐ-आजम भगत सिंह, भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीम राव अम्बेडकर और सर छोटू राम के सपनों का देश बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार को चलता करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार किसान आंदोलन की देश व्यापक सफलता को देख कर घबरा गई है और सरकारी एजेंसियां किसान आंदोलन के नेताओं में फूट डालने के यत्न कर रही हैं।
भगवंत मान की सरकार से मांग, कहा- संसद में कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर हो चर्चा
आप संसद ने नरेंद्र मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वह किसान आंदोलन को बदनाम करने से बाज आ जाए। उन्होंने किसान आंदोलन के नेताओं को केंद्र सरकार की 'फूट डालो और राज करो' की नीति से सचेत रहने की अपील करते कहा कि काले कृषि कानून रद्द करवाने के लिए किसान नेताओं की एकता बहुत जरूरी है। मान ने कहा कि देश के 'अन्न और धन' को तिजौरी में बंद होने से बचाने के लिए किसान, मजदूर, विद्यार्थी और सहृदय राजनैतिक नेताओं में एकता होना समय की जरूरत है।