इंडिया गेट से : क्या स्वयं हेमंत सोरेन ही बदल लेंगे पाला?
राजनीतिक चर्चा है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के बाद झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार गिर सकती है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के दौरे में 16 हजार करोड़ रुपए की अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करके भाजपा के समर्थन वाली सरकार के गठन का नींव पत्थर भी रख दिया। आम तौर पर ऐसी केन्द्रीय परियोजनाओं की झड़ी चुनावों के वक्त लगती है। झारखंड के चुनाव अभी दो साल दूर हैं, इसलिए लग रहा है कि महाराष्ट्र के बाद अब झारखंड की बारी है।
अटकल तो यहाँ तक चल रही है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद कांग्रेस से गठबंधन तोड़ कर भाजपा से गठबंधन की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए प्रधानमंत्री के देवधर पहुंचने से एक दिन पहले ही वह अपनी पत्नी के साथ देवधर पहुंच गए थे और जिस मन्दिर में नरेंद्र मोदी को पूजा अर्चना करनी थी, वहां एक दिन पहले ही पत्नी के साथ सोरेन ने पूजा अर्चना की।
देवघर को 'बाबा धाम' के नाम से जाना जाता है और कांवड़ यात्रा का ये बहुत बड़ा केंद्र है, जहाँ बाबा बैद्यनाथ के रूप में ज्योतिर्लिंग स्थापित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में ऐसी कोई बात नहीं की, जैसी उन्होंने पिछले हफ्ते हैदराबाद में परिवारवाद की राजनीति पर हमला बोल कर की थी।
हैदराबाद में उन्होंने तेलंगाना में सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति पर चोट की थी। केसीआर का बेटा केटी रामाराव उन की सरकार में मंत्री है। सांसद रही केसीआर की बेटी के. कविता विधान परिषद की सदस्य हैं। झारखंड सरकार में शामिल तीनों दल भी परिवारवादी पार्टियां है। झारखंड मुक्ति मोर्चा भी अब सोरेन परिवार की जेबी पार्टी बन चुकी है, कांग्रेस और आरजेडी तो परिवारवादी पार्टियां हैं ही।
लेकिन मोदी ने हैदराबाद जैसी टिप्पणी झारखंड में नहीं की। इस से संकेत मिलता है कि अगर हेमंत सोरेन कांग्रेस से गठबंधन तोड़ते हैं, तो भाजपा इस विकल्प पर भी विचार कर सकती है। हेमंत सोरेन ने एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रोपदी मूर्मू का शानदार स्वागत करके एक संकेत दे दिया है। भाजपा ने आदिवासी महिला उम्मीदवार बना कर झारखंड मुक्ति मोर्चा और बीजू जनता दल को विपक्ष के खेमें में जाने से रोक दिया। अब उस की परिणिति झारखंड में सत्ता परिवर्तन से होगी।
अगर हेमंत सोरेन यूपीए में बने रहते हैं तो भाजपा वैकल्पिक तैयारी भी कर रही है। उसकी झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के लगभग सभी आदिवासी विधायकों से भी बात चल रही है। अगर हेमंत सोरेन गठबंधन नहीं तोड़ते, तो उन की पार्टी में भी शिवसेना की तरह बगावत होगी।
झारखंड के CM हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के ठिकानों पर ED का छापा
झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। झारखंड मुक्ति मोर्चा को सबसे ज्यादा 30 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 16 और आरजेडी को एक सीट मिली थी। भाजपा को 25 सीटें मिलीं थी। जिसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कांग्रेस और आरजेडी से गठबंधन करके सरकार बनाई थी। झारखंड सरकार गिरती है, तो कांग्रेस एक और राज्य से सत्ता से बाहर हो जाएगी।
जब गोवा में पार्टी विभाजन के कगार पर है और झारखंड सरकार गिरने के कगार पर है, तो राहुल गाँधी एक बार फिर से यूरोप के लिए निकल गए हैं। जबकि 14 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया से सबंधित कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू हो रहा है, 17 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है।
हिमाचल प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियाँ भी तेज़ हो रही हैं, इस कारण राहुल गाँधी का विदेश दौरे पर जाना सबको हैरान करने वाला है। हालाँकि, इससे पहले भी वो ऐसे कारनामे करते रहे हैं। बताया गया है कि यह उनका 'व्यक्तिगत दौरा' है। राहुल गाँधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने के सबसे बड़े कारणों में से एक ये भी है कि महत्त्वपूर्ण राजनीतिक क्षणों से पहले वो अचानक विदेश दौरे पर निकल जाते हैं। फ़िलहाल पार्टी ने उनके ताज़ा दौरे को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
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