राजस्थान कांग्रेस में घमासान घनघोर, बीजेपी में तैयारियों पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते तो अंबाजी से ही अहमदाबाद के लिए उड़ सकते थे, क्योंकि हैलीकॉप्टर से ही आए थे। लेकिन गुजरात के अंबाजी से 25 किलोमीटर और आगे की दूरी का सफर कार से तय करके गहराते अंधेरे में वे राजस्थान के आबूरोड पहुंचे।
मोदी आबू में मंच पर आए, देरी से पहुंचने के लिए वहां उपस्थित हजारों की भीड़ से माफी मांगी, राजस्थान की धरती को तीन बार विनम्रता के साथ दंडवत प्रणाम किया। रात बहुत हो चुकी थी, माइक पर बोलने की समय सीमा निकल गई थी, रास्ता भी पहाड़ी था, लेकिन फिर भी मोदी गुजरात से राजस्थान पहुंचे और सिर्फ 7 मिनट में ही करोड़ों लोगों का दिल जीतकर हैलीकॉप्टर से अहमदाबाद के लिए उड़ गए।
मोदी के इस चंद मिनटों के राजस्थान दौरे को प्रदेश में संभवतया बीजेपी की चुनावी तैयारियों से जोड़कर नहीं भी देखा जाता, अगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मोदी के तीन बार राजस्थान को नमन पर तंज न कसते। लेकिन, प्रधानमंत्री की विनम्रता पर सवाल उठाते हुए कहा गहलोत ने तंज कसा कि मोदी मुझसे अधिक विनम्र दिखना चाहते हैं, इसलिए ऐसा कर रहे हैं।
गहलोत ने लोगों से झांसे में न आने की अपील की और कहा कि मैं आग्रह कर रहा हूं कि आप हमें एक और मौका दें, मैं बड़ी-बड़ी योजनाएं लेकर आया हूं, काम की कोई कमी नहीं है।
तस्वीर साफ है कि अगले विधानसभा चुनाव में राजस्थान फतह करने की कोशिशें दोनों तरफ से शुरू हो गई हैं। लेकिन चुनावी तैयारियों के मामले में बीजेपी आगे दिख रही है, तो कांग्रेस में अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं।
बीजेपी अभी से अपने संगठन की सबसे निचली इकाई के बूथ कार्यकर्ताओं को टारगेट सौंप कर उनसे ग्राउंड रिपोर्ट लेने का सिलसिला शुरू कर चुकी है, तो इसके उलट गुटबाजी में उलझी कांग्रेस में हताशा और खेमेबाजी का माहौल है। टुकडों में बंटी कांग्रेस अब तक कई जिलों में अपने जिलाध्यक्ष तक नियुक्त नहीं कर सकी है।
हालांकि राजस्थान में 2023 के नंवबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन सचिन पायलट की मुख्यमंत्री बनने की जिद के सामने कांग्रेस आलाकमान मजबूरी में मुख्यमंत्री गहलोत को नहीं बदल पा रहा है।
बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में ही होने की बात कहकर सभी असमंजस खत्म कर दिए हैं, तो कांग्रेस में पायलट समर्थक हर सुबह सीधे मुख्यमंत्री गहलोत व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को निशाने पर ले रहे हैं। पार्टी में कोई भी विश्वास के साथ यह नहीं कह पा रहा है कि डोटासरा 2023 के चुनाव तक अध्यक्ष बने रहेंगे या नहीं। ऐसे में कांग्रेसी खेमे में असमंजस का आलम है।
बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों में इस तन्मयता से जुट गई है कि मोदी के चंद मिनटों के लिए राजस्थान आने को भी चुनाव प्रचार का हिस्सा मान लिया गया। बीजेपी ने राष्ट्रीय स्तर से प्रदेश स्तर तक अपने बड़े नेताओं के साथ बातें, मुलाकातें व बैठकें की हैं। प्रधानमंत्री मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के दौरे राजस्थान में हो चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के कार्यक्रम गली मोहल्लों तक आयोजित हुए तथा प्रदेश में कांग्रेस सरकार को हर मामले पर निशाने पर लेने में बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ती।
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लेकिन, कांग्रेस में अब तक अगले साल के विधानसभा चुनाव पर किसी तरह की कोई तैयारी दिख नहीं रही। ले दे कर अकेले मुख्यमंत्री गहलोत जिलों में घूम रहे हैं, अब तक का सबसे विशाल ग्रामीण ओलंपिक खेल आयोजन कर रहे हैं, लेकिन उनके अलावा कांग्रेसी नेताओं की बयानबाजियां माहौल खराब कर रही है। आलम यह है कि कांग्रेस आलाकमान को बयानबाजी रोकने के लिए एडवाइजरी जारी करना पड़ी। फिर भी नेता हैं कि छींटाकशी किए जा रहे हैं।
बीजेपी में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया, उप नेता राजेंद्र राठोड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भूपेंद्र यादव, अर्जुन मेघवाल एवं कैलाश चौधरी के अलावा दिग्गज नेता ओमप्रकाश माथुर, अरुण चतुर्वेदी व राज्यवर्धन राठौड़ जैसे नेता मोदी शाह के नेतृत्व में एकजुट दिखते हैं। आबूरोड में मोदी के आगमन पर सभी की उपस्थिति ने अहसास कराया कि मजबूत केंद्रीय नेतृत्व और संघ परिवार की पकड़ के चलते बीजेपी हर मौके पर एकजुट नजर आती है।
मगर, कांग्रेस के पास प्रदेश में केवल 3 ही बड़े नेता सक्रिय हैं, मुख्यमंत्री गहलोत, सचिन पायलट व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा। फिर भी आपसी गुटबाजी और अस्थिरता के चलते कांग्रेस को राजस्थान में नुकसान उठाना पड़ रहा है। बीजेपी के अधिकांश नेताओं के मुकाबले गहलोत बहुत बड़े कद के नेता माने जाते हैं। फिर भी ऐसे दिग्गज नेता को हटाकर मुख्यमंत्री बनने का षड़यंत्र कांग्रेस के ही भीतर चल रहे हैं। इसके कारण राजस्थान कांग्रेस लगातार पिस रही है।
राजस्थान में बीजेपी कार्यकर्ताओं के पास बहुत काम दिखता है। उनमें जीत का जुनून प्रतीत होता है। गली मोहल्लों के कार्यकर्ताओं से लेकर जिला व प्रदेश के पदाधिकारी केंद्र की नीतियों व कार्यक्रमों का प्रचार कर रहे हैं। लेकिन गहलोत सरकार की चिरंजीवी योजना, कोरोना मैनेजमेंट, पुरानी पेंशन स्कीम सहित कई मुद्दों पर सराहनीय काम होने के बावजूद पायलट गुट के लोग काम करने के बजाय बाधा डालते दिखते हैं। कांग्रेस आलाकमान की अनदेखी और स्थानीय गुटबाजी के कारण कांग्रेस में अस्थिरता का माहौल साफ नजर आता है, जिसका उसे नुकसान हो रहा है।
राजस्थान बीजेपी ने 2023 में होनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के तहत 52 हजार पोलिंग बूथ में से तकरीबन 49 हजार बूथ पर कमेटी बना ली है। सबके अपने फोटो पास हैं, और रोज रिपोर्ट ली जा रही है। इधर कांग्रेस में पायलट की जिद के कारण लगभग आधे से अधिक जिला अध्यक्ष पद खाली पड़े हैं। जून 2020 में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से पायलट की बर्खास्तगी और डोटासरा की नियुक्ति के बाद कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी तो बनी लेकिन राजस्थान के आधे जिलों में आज तक कांग्रेस जिलाध्यक्ष भी नहीं नियुक्त कर पायी है।
दरअसल, कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी का चुनावी तंत्र काफी मजबूत है, तथा नेताओं की प्रकट तौर पर दिखती एकजुटता उसकी ताकत है। परंतु कांग्रेस में बिखराव के कारण माहौल लगातार बिगड़ता जा रहा है।
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