Global Investors Summit 2023: अपराध, परिवारवाद से मुक्ति पाकर UP ने तय किए अर्थव्यवस्था की मजबूती के लक्ष्य
Global Investors Summit 2023: मंगलवार 22 नवंबर को उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के महा अभियान की शुरुआत दिल्ली से हो गयी। इस महा अभियान की शुरुआत स्वयं योगी आदित्यनाथ ने की। इस मौके पर उन्होंने 2023 में प्रस्तावित दूसरे ग्लोबल इन्वेस्टर समिट से पर्दा भी उठाया।
पहला ग्लोबल इन्वेस्टर समिट फरवरी 2018 में आयोजित किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2023 के जरिए प्रदेश में दस लाख करोड़ रूपये के निवेश की संभावनाओं को साकार करने के लिए काम कर रही है। इसके लिए प्रदेश में अगला ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 10 से 12 फरवरी 2023 के बीच लखनऊ में आयोजित किया जाएगा।
इस मौके पर दिल्ली में योगी आदित्यनाथ ने ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2023 का प्रतीक चिन्ह भी जारी किया तो निवेशकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल को भी लांच किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि "उत्तर प्रदेश असीम संभावनाओं का प्रदेश है। उत्तर प्रदेश आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है इसलिए यहां सबसे अधिक उपभोक्ता हैं। आज उत्तर प्रदेश देश के सकल घरेलू जीडीपी में 5 प्रतिशत का योगदान करता है। अब हम देश की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर हो रहे हैं।"
इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां दिल्ली में प्रदर्शनी और रोड शो से शुरुआत कर रहे हैं वहीं राज्य के दो उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्री दुनिया के अलग अलग स्थानों पर जाएंगे और उत्तर प्रदेश की उपलब्धियों के बारे में बताएंगे। उत्तर प्रदेश के मंत्री एवं अधिकारी दिल्ली के अलावा, मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, हैदराबाद, बंगलौर, चेन्नई के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, दुबई, नीदरलैण्ड, फ्रांस, कनाडा, मैक्सिको, जर्मनी, बेल्जियम, स्वीडेन, जापान सहित 18 देशों में भी निवेश के लिए रोड शो आयोजित करेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाना है। पांच वर्ष पहले तक इस सवाल पर विमर्श भी संभव नहीं था, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में इस पर चर्चा होने लगी है। योगी अगले साल फरवरी में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट की सफलता के लिए अधिकारियों के साथ खुद अग्रिम मोर्चे पर डटे हुए हैं।
राजनीतिक स्थिरता के बावजूद उत्तर प्रदेश में किसी मुख्यमंत्री ने अर्थव्यस्था का आकार बढ़ाने को लेकर विजन नहीं दिखाया। सब कुछ तयशुदा ढर्रे पर चल रहा था। मानव संसाधन की प्रचुरता, बड़ा उपभोक्ता बाजार होने के बावजूद उत्तर प्रदेश को अग्रणी राज्यों में खड़ा करने का सपना कोई शीर्ष सियासी नेतृत्व नहीं देख रहा था तो इसे राज्य की बदनसीबी के सिवा और क्या माना जा सकता है?
मंडल की राजनीति के उदय के बाद सियासत जातिवाद, परिवारवाद, भ्रष्टाचार और अनैतिकता की चारागाह बन गई। नैतिक रूप से पतित राजनीति ने जनता के प्रति जवाबदेही को दरकिनार कर दिया। आम जनता के जीवन में गुणवत्तापूर्ण सुधार किसी भी सियासी दल की मूल भावना नहीं रह गई। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे पिछड़े राज्यों को इसकी अधिक कीमत चुकानी पड़ी। जातिवाद की जकड़न ने आम जनता के हितों का सर्वाधिक नुकसान किया।
एक उदाहरण लेते हैं। नीतीश बीते 17 सालों से बिहार की बागडोर संभाल रहे हैं। योगी को उत्तर प्रदेश संभाले पांच वर्ष हुआ है। यूपी और बिहार के आर्थिक हालत और माहौल एक जैसे रहे हैं, लेकिन अब अर्थव्यवस्था के आकार की तुलना से समझा जा सकता है कि राजनैतिक इच्छाशक्ति से कितना बदलाव हो सकता है। राजनीतिक इच्छाशक्ति आमजन के जीवन को कितना गुणवत्तापूर्ण बना सकती है।
वर्ष 2016-17 की बात करते हैं। बिहार का बजट 1.44 लाख करोड़ तथा जीएसडीपी 5.58 लाख करोड़ रुपये थी। उत्तर प्रदेश का बजट 3.47 लाख करोड़ तथा जीएसडीपी 9.74 लाख करोड़ थी। पांच वित्तीय वर्ष बाद बिहार का बजट आकार 2.37 लाख करोड़ और जीएसडीपी 7.45 लाख करोड़ तक पहुंची है, जबकि उत्तर प्रदेश का बजट आकार बढ़कर 6.15 लाख करोड़ तथा जीएसडीपी 20.48 लाख करोड़ पहुंच चुकी है।
उत्तर प्रदेश की जीएसडीपी पांच सालों में दोगुने से ज्यादा बढ़ चुकी है, वहीं बिहार की जीएसडीपी डेढ़ गुना से भी कम रफ्तार से बढ़ी। वर्ष 2016-17 में उत्तर प्रदेश की जीएसडीपी बिहार से लभगग दुगुनी थी, आज यह तिगुनी हो चुकी है। यह अंतर राजनैतिक इच्छाशक्ति के प्रभाव को परिलक्षित करता है। बीते पांच सालों में योगी आदित्यनाथ राज्य की आर्थिक समृद्धि को लेकर विजन और कठोर इच्छाशक्ति के साथ काम कर रहे हैं।
सब कुछ इतना आसान नहीं रहा है। योगी ने कुछ ऐसे कठोर फैसले लिये, जिसे सामान्यतया वोट बैंक का नुकसान होने की आशंका के चलते एक मुख्यमंत्री लेने से परहेज करता है। निवेश का माहौल तैयार करने के लिये योगी सरकार ने अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर नीति की शुरुआत की। अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर चलने वाली सियासी ड्रामेबाजी पर ब्रेक लगाकर कानून की धमक पैदा की। माफियाओं की 4000 करोड़ की संपत्ति जब्त हुई।
विपक्ष के हमले-आरोपों के बावजूद माफियाओं के प्रति योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति राज्य की आर्थिक सेहत के लिये मददगार साबित हो रही है। योगी की बुलडोजर नीति से राज्य में मजबूत कानून-व्यवस्था और ढांचागत सुधार से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।
राज्य में हवाई अड्डों का विस्तार हो रहा है। 2017 में 4 हवाई अड्डे थे, अब 9 हो चुके हैं। 10 नये एयरपोर्ट का काम जारी है। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के पहले चरण की निर्माण प्रकिया चालू है। एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो निश्चित रूप से निवेशकों का प्रशासन पर भरोसा, सुरक्षित माहौल और मजबूत आधारभूत संरचना की दरकार हमेशा रहेगी।
दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे एक्सप्रेस वे निर्माण में राज्य उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। उत्तर प्रदेश में 1225 किलोमीटर के छह एक्सप्रेस-वे क्रियाशील हो चुके हैं। राज्य में 1974 किलोमीटर के सात एक्सप्रेस-वे निर्मार्णाधीन हैं।
अगले तीन वर्षों में यूपी सबसे ज्यादा एक्सप्रेस-वे संरचना वाला राज्य हो जायेगा। ढांचागत निर्माण राज्य की आर्थिक सेहत को मजबूत करने के साथ रोजगार के नये अवसर पैदा कर रहे हैं। राज्य में बीते पांच वर्षों में राज्य सरकार ने 4.60 लाख करोड़ के एमओयू साइन किये हैं, जिसमें 1.88 लाख करोड़ का निवेश धरातल पर है।
राज्य सरकार 2023 के ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य लेकर चल रही है। सरकार ने विभिन्न दूतावास, विदेश मंत्रालय एवं इनवेस्ट इंडिया को पत्र लिखकर 93 देशों को आमंत्रित किया है। निवेशकों को लुभाने के लिये इंडस्ट्री डिपार्टमेंट भारत से बाहर 17 देशों में रोड शो करने की तैयारी है, जिसकी शुरुआत दुबई से होगी।
योगी सरकार निवेश के साथ प्राकृतिक संसाधनों एवं अतीत में भारतीय अर्थव्यवस्था की धुरी रहे कृषि एवं पशुधन की उपयोगिता को पुनर्स्थापित करने का चरणबद्ध तरीके से प्रयास कर रही है। बुंदेलखंड में उर्वरकविहीन प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर आर्गेनिक हब बनाने की दिशा में काम चल रहा है।
योगी सरकार स्वस्थ मिट्टी के साथ राज्य की अर्थव्यवस्था में मजबूत योगदान देने वाले कृषि एवं पशुधन की उपयोगिता बढ़ाने की दिशा में भी योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। तालाबों का सुदृढ़ीकरण, खेत तालाब का निर्माण इसी परियोजना का हिस्सा है।
योगी सरकार निवेश के साथ धार्मिक पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिये मंदिरों का सुदृढ्रीकरण एवं जीर्णोद्धार भी करा रही है ताकि भारत का दूसरा सबसे अधिक देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाला राज्य पहले नंबर पर पहुंच जाए।
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